tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post5329204173076826911..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: लाल्टू की एक कविता : हुसैन सागरEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger16125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-60894466494504211632010-04-23T13:35:08.009+05:302010-04-23T13:35:08.009+05:30"doosra yeh ki ho jaae kavita gadyamaya
par b..."doosra yeh ki ho jaae kavita gadyamaya<br />par bandook chalaanee seekha jaae"<br /><br />laltu ki zayada kavitayen nahin parhi, par jo parhi unhe zayada sarah nahi paaya. Is kavita main yeh do pankityaan is kavita ko saarthak banaati hai, meri samajh main.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-41174809844760466942010-04-14T17:40:45.242+05:302010-04-14T17:40:45.242+05:30@ रंगनाथ जी !
आपके साथ मैं भी निशाने पर हूँ।
कवित...@ रंगनाथ जी !<br /><br />आपके साथ मैं भी निशाने पर हूँ।<br />कविता निशाने भी साधती है और गोली भी चलाती है।<br />कविता की बंदूक के शिकार को यह सुविधा होती है कि उसकी इच्छा हो तो गोली से घायल हो और न होतो न हो। बहुत से लोग कविता के पद्य से खुशी-खुशी और शीघ्र घायल होते हैं। कविता के गद्य से शायद उतने नहीं..<br />और सर ! गोली तो पद्य से क्या ग़ज़ब की निकलती है...प्रीतीश बारहठhttps://www.blogger.com/profile/02962507623195455994noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-23530246831022724932010-04-13T10:23:15.519+05:302010-04-13T10:23:15.519+05:30लाल्टू जी !
बेहतर कविता के लिए उदास बधाई!
क्यूँ उद...लाल्टू जी !<br />बेहतर कविता के लिए उदास बधाई!<br />क्यूँ उदास नहीं होना चाहिए?<br />दंगे का कम से कम भी जो मतलब होता है<br />वह सिर्फ उदास और बे इंतिहा परेशान कर देता है.<br /><br />ऐसे में जहाँ से इसके खिलाफ आवाज़ क़ी उम्मीद हो,<br />वही से आस्था के तर्क हाथ लगें तो रोने का ही मन होगा!<br /><br />सर्वेश्वर ने कुमार गन्धर्व के लिए एक बार लिखा था<br />"जलते हुए वन में छटपटाता हुआ हिरन"<br />हमारी हालत ऐसी ही है<br />इस वक्त हैदराबाद में होना यातना क़ी ढेरो खिड़कियाँ खोल देता होगा<br />गुजरात अयोध्या और हुकूमते!मृत्युंजयhttps://www.blogger.com/profile/09135755676182103803noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-62109066086363448002010-04-11T22:26:37.987+05:302010-04-11T22:26:37.987+05:30तीसरा हल यह भी कि ऐलबर्ट आइन्स्टाइन को पढ़ा जाए
कि...तीसरा हल यह भी कि ऐलबर्ट आइन्स्टाइन को पढ़ा जाए<br />कि जितना आश्चर्य आस्थावादी विचारकों की भीड़ देखकर होती है आज<br />उतना ही हुआ था उस महान वैज्ञानिक को भिन्न कारणों से कभी गाँधी को जानकरप्रदीप कांतhttps://www.blogger.com/profile/09173096601282107637noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-4876562029153840152010-04-07T23:24:17.233+05:302010-04-07T23:24:17.233+05:30लाल्टू जी आपको इतना स्पष्टिकरण देने की क्या आव्श्य...लाल्टू जी आपको इतना स्पष्टिकरण देने की क्या आव्श्यकता है । सही तो कह रहे है आप ।शरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-79504215353715025752010-04-07T14:43:50.363+05:302010-04-07T14:43:50.363+05:30लाल्टू जी से सहमत!
ज़रूरी कविता है… बस इतना कहुं...लाल्टू जी से सहमत! <br /><br />ज़रूरी कविता है… बस इतना कहुंगा अभीAshok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-48131119956170861112010-04-05T15:06:36.273+05:302010-04-05T15:06:36.273+05:30aap dono ko laaltu ji ko aur dhiresh bhai ko aisi ...aap dono ko laaltu ji ko aur dhiresh bhai ko aisi rachna ke liye bhut bhut dhnywad. laatu ji ko isliye ki unhone ise likha aur dhiresh bhai ko iss kvita ko meri phunch tk laane ke liyeManav Pardeephttps://www.blogger.com/profile/13971413726595990104noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-66442039996879524432010-04-04T12:48:42.049+05:302010-04-04T12:48:42.049+05:30यह कविता एक तरफ साम्प्रदायिक लोगों को निशाने पर रख...यह कविता एक तरफ साम्प्रदायिक लोगों को निशाने पर रखती है, दूसरी तरफ विष्णु खरे को और तीसरी तरफ उन सभी पाठकों को जो कविता को गद्यमय किए जाने से असहज महसूस करते हैं।<br /><br />इस तीसरे तरफ में तो मैं स्वयं को भी खड़ा पा रहा हूँ। मैं यह नहीं कह रहा कि यह कविता लोगों को निशाने पर रखने के लिए लिखी गई है। मैं यह भी नहीं कह रहा हूँ निशाने पर रखने के खतरे से बचने के लिए यह गद्य 'कवितामय' हो गया है। मैं सिर्फ यह कह रहा हूँ कि यह जो कुछ भी है उसने मुझे और मुझ जैसे बहुत से पाठकों को निशाने पर ले लिया है !Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-70451019646910965802010-04-04T12:47:23.852+05:302010-04-04T12:47:23.852+05:30मैंने तो सिर्फ अपनी मनस्थिति का बयान किया है। सवाल...मैंने तो सिर्फ अपनी मनस्थिति का बयान किया है। सवाल यह नहीं कि कौन अपराधी है, सवाल यह है कि बहुसंख्यक लोगों की संस्कृति(यों) और परंपराओं के वर्चस्व में जीते हुए हममें से कोई भी मुख्यधारा से अलग मुद्दों पर किस हद तक खुला दिमाग रख सकता है। कहने को हम किसी एक कवि या लेखक को निशाना बना सकते हैं, पर मेरा मकसद यह नहीं है, मैं एक तरह से खुद को निशाना बना रहा हूँ। किसी भी बड़े और सजग कवि से तो मैं सीख ही सकता हूँ। अगर एक सचेत कवि की किसी बात में हमें किसी प्रकार की संकीर्णता दिखती है, तो मैं या कोई और भी उस संकीर्णता से मुक्त हों, ऐसा नहीं हो सकता है। मैं चाहता हूँ कि हममें से हर कोई इस बात को सोचे कि हम कितनी ईमानदारी से जो कहते हैं उसको वाकई अपने जीवन में जीते हैं। मुझे लगता है कि हमें आपस की खींचातानी या किसी एक कवि या लेखक का नाम लेकर बहस करने से बचना चाहिए। मैं अक्सर देखता हूँ कि इस तरह की बहस से मूल बात हाशिए पर चली जाती है। अपनी कमजोरियों और पूर्वाग्रहों को समझते हुए और उन्हें स्वीकार करते हुए ही हम बेहतरी की ओर बढ़ सकते हैं।लाल्टूhttps://www.blogger.com/profile/04044830641998471974noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-44191342660729921602010-04-03T18:37:10.992+05:302010-04-03T18:37:10.992+05:30This comment has been removed by the author.Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-55309729624006713522010-04-03T18:33:24.396+05:302010-04-03T18:33:24.396+05:30This comment has been removed by the author.Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-16544882288758310712010-04-03T16:34:25.097+05:302010-04-03T16:34:25.097+05:30ACHA LIKHTE HE
SHEKHAR KUMAWATACHA LIKHTE HE <br /><br />SHEKHAR KUMAWATShekhar Kumawathttps://www.blogger.com/profile/13064575601344868349noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-53644922692463362592010-04-03T15:58:43.271+05:302010-04-03T15:58:43.271+05:30Ji, bhala yh bhi koi kavita hai. ye to sampradaayi...Ji, bhala yh bhi koi kavita hai. ye to sampradaayikta par bhi pareshan hoti hai aur Vishnu khare jaise Vampanthiyon ke prampra aur astha ke moh par bhi.Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-81678539991379586512010-04-03T14:22:31.257+05:302010-04-03T14:22:31.257+05:30क्या इसे भी कविता कहते हैं?क्या इसे भी कविता कहते हैं?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-80960880323791663112010-04-03T10:15:36.489+05:302010-04-03T10:15:36.489+05:30रचना में झकझोर देने वाली क्षमता है।रचना में झकझोर देने वाली क्षमता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-47599113497047306022010-04-03T09:55:58.578+05:302010-04-03T09:55:58.578+05:30हुसेन के सुन्दर चित्र के साथ लाल्टू की खूबसूरत रचन...हुसेन के सुन्दर चित्र के साथ लाल्टू की खूबसूरत रचना की प्रस्तुति ! क्या बात है !अफ़लातूनhttp://samatavadi.wordpress.comnoreply@blogger.com