tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post671213020514251953..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: बाबरी मस्जिद से पहले भी वहां मस्जिद ही थी - डा. सूरजभानEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-78233334003591232162011-02-09T21:13:05.004+05:302011-02-09T21:13:05.004+05:30'भारत एक खोज' का शीर्षक गीत याद आता है..
स...'भारत एक खोज' का शीर्षक गीत याद आता है..<br />सृष्टि से पहले कुछ नहीं था<br />सत भी नहीं<br />असत भी नहीं था<br />अन्तरिक्ष भी नहीं <br />आकाश भी नहीं..<br />छिपा था क्या <br />कहाँ इसने ढंका था???<br />उस पल तो <br />अगम अचल जल भी कहाँ था?...दीपक 'मशाल'https://www.blogger.com/profile/00942644736827727003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-36825147668442500682010-11-12T22:06:06.523+05:302010-11-12T22:06:06.523+05:30किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है,
कहीं म...किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है,<br />कहीं मंदिर की परछाई, कहीं मस्जिद का साया है,<br />न तब पूछा था हमसे और न अब पूछने आए,<br />हमेशा फैसले करके हमें यूं ही सुनाया है…<br /><br />किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है…<br /><br />हमें फुर्सत कहां रोटी की गोलाई के चक्कर से,<br />न जाने किसका मंदिर है, न जाने किसकी मस्जिद है,<br />न जाने कौन उलझाता है सीधे-सच्चे धागों को,<br />न जाने किसकी साजिश है, न जाने किसकी यह जिद है<br />अजब सा सिलसिला है यह, जाने किसने चलाया है।<br /><br />किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है…<br /><br />वो कहते हैं, तुम्हारा है, जरा तुम एक नजर डालो,<br />वो कहते हैं, बढ़ो, मांगो, जरूरी है, न तुम टालो,<br />मगर अपनी जरूरत तो है बिल्कुल ही अलग इससे,<br />जरा ठहरो, जरा सोचो, हमें सांचों में मत ढालो,<br />बताओ कौन यह शोला मेरे आंगन में लाया है।<br /><br />किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है…<br /><br />अगर हिंदू में आंधी है, अगर तूफान मुसलमां है,<br />तो आओ आंधी-तूफां यार बनके कुछ नया कर लें,<br />तो आओ इक नजर डालें अहम से कुछ सवालों पर,<br />कई कोने अंधेरे हैं, मशालों को दिया कर लें,<br />अब असली दर्द बोलेंगे जो दिलों में छुपाया है।<br /><br />किसी ने कुछ बनाया था, किसी ने कुछ बनाया है…<br /><br />~ प्रसून जोशीDheeraj Pandeyhttps://www.blogger.com/profile/00185518009361746989noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-35461565899299086132010-10-26T11:06:06.081+05:302010-10-26T11:06:06.081+05:30बहुत खूब…
"भारतीय नागरिक" से सहमत होते ह...बहुत खूब…<br />"भारतीय नागरिक" से सहमत होते हुए आगे कहना चाहता हूं कि उस "मस्जिद"(?) से पहले भी मस्जिद थी, उससे भी पहले एक और मस्जिद थी, अयोध्या में सभी मुस्लिम ही रहते थे जिन्होंने बाबर को अफ़गानिस्तान से आमंत्रित किया था और उस जगह का पट्टा दिया था, सभी हिन्दू मोहम्मद की ही सन्तान हैं, इस्लाम का प्रदुर्भाव सनातन धर्म से पहले ही हुआ… <br /><br />चलते जाइये, चलते जाइये… खोदते जाईये… सब कुछ साबित कर ही लेंगे… :) :) :) जय होAnonymoushttps://www.blogger.com/profile/02326531486506632298noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-20352166030460109332010-10-19T11:03:46.686+05:302010-10-19T11:03:46.686+05:30धीरेश डॉ. सूरजभान का ये लेख बहुत महत्वपूर्ण है
तुम...धीरेश डॉ. सूरजभान का ये लेख बहुत महत्वपूर्ण है<br />तुमने एक बड़ा काम किया है इसे ब्लॉग पर डाल करsushilhttps://www.blogger.com/profile/01568130785726015319noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-81186039119524221452010-10-17T20:35:15.986+05:302010-10-17T20:35:15.986+05:30डा. सूरजभान का यह सुचिन्तित आलेख बेहद महत्त्वपूर्ण...डा. सूरजभान का यह सुचिन्तित आलेख बेहद महत्त्वपूर्ण है। इसे हँसी में उड़ा देना ठीक नहीं। इधर माननीय न्यायाधीशों के जो ‘आस्थापूरित’ बयान सामने आ रहे हैं, वे न्याय-प्रक्रिया की विश्वसनीयता के लिए बेहद चिन्तनीय हैं।परमेन्द्र सिंहhttps://www.blogger.com/profile/07894578838946949457noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-31556496122756891672010-10-16T00:01:08.874+05:302010-10-16T00:01:08.874+05:30कभी कभी हंसना भी अच्छा लगता है. वैसे मैंने कहीं पढ़...कभी कभी हंसना भी अच्छा लगता है. वैसे मैंने कहीं पढ़ा था कि बाबर पैदा ही अयोध्या में हुआ था. थोड़ा और अधिक उत्खनन से सबूत भी मिल जायेंगे...भारतीय नागरिक - Indian Citizenhttps://www.blogger.com/profile/07029593617561774841noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-43757692442021759162010-10-15T20:46:49.041+05:302010-10-15T20:46:49.041+05:30धीरेश इसे मैंने फेसबुक पर भी पोस्ट कर दिया है..बहु...धीरेश इसे मैंने फेसबुक पर भी पोस्ट कर दिया है..बहुत ज़रूरी प्रस्तुति...Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-34577543520983512912010-10-15T20:28:44.688+05:302010-10-15T20:28:44.688+05:30डॉ. सूरजभान का यह बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित लेख ह...डॉ. सूरजभान का यह बहुत महत्वपूर्ण और चर्चित लेख है । आज इस देश में सही पुरातत्ववेत्ताओं और इतिहासकारों का महत्व कम होता दिखाई दे रहा है लेकिन भविष्य बतायेगा कि उनकी ज़रूरत क्यों है । डॉ. सूरजभान के लिए ' पहल ' में प्रकशित अपनी लम्बी कविता पुरातत्ववेत्ता से यह पंक्तियाँ <br /><br />बस पुरातत्ववेत्ता हैं जो चले जा रहे हैं <br />इसलिये कि वे <br />श्रुतियों के आधार पर इतिहास नहीं गढ़ रहे <br />आस्था की नींव पर नहीं खड़ा कर रहे <br />इतिहास का भवन <br />और इतिहास में अमर हो जाने जैसी<br />कोई भौतिक अभिलाषा भी नहीं उनके भीतर <br /><br />और इतिहास के बारे में यह बात काबिले गौर<br />कि उनकी नज़रों में वह नहीं है इतिहास <br />जो हुक्के के साथ गुड़गुड़ाया जा रहा चौपालों में <br />संस्कृति के पुरोधाओं के इशारों पर <br />जो मिलाया जा रहा <br />खिलौनों और किताबों के नये संस्करणों में <br />विदेशी सत्ता से मिले ख़िताबों से शर्मसार होकर <br />खीझ और पश्चाताप की कलम से <br />रचा जा रहा जो <br />वह तो क़तई नहीं जिसे उनके समकालीन <br />खोद रहे पूर्वाग्रह के औज़ारों से <br />और परोस रहे हैं <br />इस महाविशाल पृथ्वी पर रहने वाली प्रजा को <br />उसकी डायनिंग टेबल पर <br /><br />इतिहास तो दरअसल माँ के पहले दूध की तरह है <br />जिसकी सही ख़ुराक पैदा करती हमारे भीतर <br />मुसीबतों से लड़ने की ताकत <br />दुख सहन करने की क्षमता देती जो <br />जीवन की समझ बनाती है वह <br />हमारे होने का अर्थ बताती है हमें <br />हमारी पहचान कराती जो हमीं से <br /> - शरद कोकासशरद कोकासhttps://www.blogger.com/profile/09435360513561915427noreply@blogger.com