tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post8571653445164663791..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: प्रतिरोध का सिनेमाEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger12125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-84594786996375492732010-03-09T18:14:59.884+05:302010-03-09T18:14:59.884+05:30khalida a khan
भाई जान आप कि नयी रपट अच्छी लगी ! ...khalida a khan<br /><br />भाई जान आप कि नयी रपट अच्छी लगी ! प्रतिरोध सिनेमा लोग ता पहुच रहा ये सुन का अच्छा लगा अब हमें कुछ नए हथियार खोजने होगे ........उसके लिए अच्छी कोशिश है आपरेशन ग्रीनहंट का विरोध जरुरी है .........अच्छे लेख के लिए बधाई भाईजानkhalidhttps://www.blogger.com/profile/05881577067849472485noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-18305178153320952822010-03-02T20:54:09.928+05:302010-03-02T20:54:09.928+05:30WAS THINKING OF GETTING INTO YOUR BLOG.GOOD COLLEC...WAS THINKING OF GETTING INTO YOUR BLOG.GOOD COLLECTION.i REALLY APPRECIATE YOUR CONCERNS AND COLLECTIONS. THIS IS FROM A BEGINNER------------------JAGDISH BALIhttps://www.blogger.com/profile/12672029642353990072noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-91103441263900678762010-02-16T00:42:07.883+05:302010-02-16T00:42:07.883+05:30फ़िल्मकार सईद मिर्ज़ा के अनुसार हिंदी में न्यू वेब स...फ़िल्मकार सईद मिर्ज़ा के अनुसार हिंदी में न्यू वेब सिनेमा का अंत १९९० के दशक में हुआ . उन्होंने यह भी बताया है १९९६ के बाद सिनेमा इसलिए नहीं बनाया की वह उपन्यास लिखने लगे . इन दोनों जान्कारिओं के बाद प्रतिरोध के सिनेमा को लेकर मेरे मन में कई सवाल उठने लगे हैं . हालाँकि पहले भी सवाल कम नहीं थे लेकिन इस फिल्म महोत्सवा के साथ जरूर उठ रहे हैं . हालाँकि अभी भी कई फ़िल्में ऐसी बन रही है जिन्हें प्रतिरोध का सिनेमा कहा जा सकता है लेकिन क्या वह उस आम आदमी तक पहुँच पति हैं . जाहिर है नहीं . इस तरह के फिल्मोत्सव एक प्रयास कहे जा सकते हैं लेकिन इनकी अधिक सार्थकता तब होती जब इनके दर्शकों की संख्या बढाई जा सकती . मुझे लगता है इस उपलब्धि के बावजूद की यह लगातार आयोजित हो रहा है, आम लोगों के बीच जा पता तो इसकी सार्थकता कहीं अधिक होती . एक बात और . जन संस्कृति मंच के महासचिव प्रणय कृष्ण का यह कहना की न्यू वेब सिनेमा हाशिए पर चला गया है एक सच अवश्य है लेकिन उनकी बात में इसे आगे बढ़ाने की कोई कोशिश नहीं नजर नहीं आती . उनका यह भी कहना की बुधिजीविओं के भीतेर इमान और जनता के बीच एकजुट होकर लड़ने की छमता भी हाशिए पर है . फिर भी लोग बिना किसी पार्टी या विचार के लड़ने को तयार हो रहे हैं .हमें उनके पास जाना है और उन्हें अपने रचनाकर्म में लाना है .दरअसल येही नहीं हो रहा है . इस तरह के फिल्मोत्सवों की सार्थकता भी तभी होगी वरना कुछ गिने -चुने लोग ही इसके दर्शक होंगे और खुश हो जाया करेंगें की हमने कुछ किया . कहीं जिआदा अच्छा होता की प्रणय कृष्ण और उनका जन संस्कृति मंच कोई ऐसा व्यापक कार्यक्रम बनता जिससे सिनेमा वाकई प्रतिरोध का सिनेमा बन पता और वह प्रतिरोध खड़ा कर पता . आनंदस्वरूप वर्मा की फिल्म की चर्चा तो सुनी पर अभी तक देख न पाने का मलाल है . कोशिश करूंगा की मिले तो देखूं .अलहदीhttps://www.blogger.com/profile/16711279740604502407noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-24625013588962316972010-02-15T20:09:16.694+05:302010-02-15T20:09:16.694+05:30आपका स्वास्थ्य कैसा है....आपका स्वास्थ्य कैसा है....संदीपhttps://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-13581038853241606972010-02-15T20:07:58.515+05:302010-02-15T20:07:58.515+05:30इस ठण्डे दौर में, गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल लगातार ...इस ठण्डे दौर में, गोरखपुर फिल्म फेस्टिवल लगातार पांचवे वर्ष आयोजित किया गया, यह सुखद लगता है। <br />आपके ब्लॉग के जरिए वहां की हलचल की जानकारी मिली, धन्यवाद।संदीपhttps://www.blogger.com/profile/01871787984864513003noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-14068009122206452272010-02-15T11:38:30.611+05:302010-02-15T11:38:30.611+05:30जिन खोजा तिन पाईयां .......क्या बात है....!
मेरे...जिन खोजा तिन पाईयां .......क्या बात है....!<br /> मेरे ब्लॉग पर भी कुछ है जो आपसे मिलता जुलता है आइये तशरीफ़ लाईये शायद अच्छा लगे....!Pawan Kumarhttps://www.blogger.com/profile/08513723264371221324noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-16794512961478078872010-02-14T22:25:30.830+05:302010-02-14T22:25:30.830+05:30अच्छी रपट. 'आपरेशन ग्रीनहंट' की भर्त्सना ...अच्छी रपट. 'आपरेशन ग्रीनहंट' की भर्त्सना के साथ-साथ अगर माओवाद, अलगाववाद के विरोध के स्वर भी सुनाई देते तो वक्ता के मंतव्य पर यकीन आसानी से हो जाता वरना तो एक महंगे प्रचार के विरुद्ध दूसरा सस्ता प्रचार जैसा ही लगता है.Smart Indianhttps://www.blogger.com/profile/11400222466406727149noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-50714825889733699662010-02-13T22:05:50.824+05:302010-02-13T22:05:50.824+05:30ये हलचले बनी रहे और रोज़-रोज़ कुछ और विस्तृत हो!ये हलचले बनी रहे और रोज़-रोज़ कुछ और विस्तृत हो!स्वप्नदर्शीhttps://www.blogger.com/profile/15273098014066821195noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-16118943004110416232010-02-13T01:26:07.508+05:302010-02-13T01:26:07.508+05:30आयोजकों को सफल आयोजन के लिए बधाई।आयोजकों को सफल आयोजन के लिए बधाई।Rangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-82984627817888840202010-02-12T21:44:19.656+05:302010-02-12T21:44:19.656+05:30पढ़कर अच्छा लगा कि संस्कृति की दुनिया में गोरखपुर ...पढ़कर अच्छा लगा कि संस्कृति की दुनिया में गोरखपुर नए आयाम खोल रहा है.Kajal Kumarhttps://www.blogger.com/profile/00998541605207954925noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-3046442569868052232010-02-12T11:34:43.231+05:302010-02-12T11:34:43.231+05:30बढ़िया जानकारी भरा आलेख है।आभार।बढ़िया जानकारी भरा आलेख है।आभार।परमजीत सिहँ बालीhttps://www.blogger.com/profile/01811121663402170102noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-26021583750865621652010-02-12T11:24:29.209+05:302010-02-12T11:24:29.209+05:30एक अच्छा लेख पढ़ने को मिला. जानकारी भरा..एक अच्छा लेख पढ़ने को मिला. जानकारी भरा..अनिल कान्तhttps://www.blogger.com/profile/12193317881098358725noreply@blogger.com