tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post868798578283448671..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: झुलसी आरजुओं का मुज़फ़्फ़रनगर Ek ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-40684909939711886322013-09-20T17:40:30.235+05:302013-09-20T17:40:30.235+05:30बहुत खरी और बहुत जानदार कविता है।बहुत खरी और बहुत जानदार कविता है।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-33911818989197494192013-09-12T14:45:33.035+05:302013-09-12T14:45:33.035+05:30कि ये ईंटें जो तुमने तैयार की हैं
तुम्हारे शयनकक्ष...कि ये ईंटें जो तुमने तैयार की हैं<br />तुम्हारे शयनकक्षों के लिए नहीं हैं<br />और ये लोहा भी<br />तुम्हारे दरवाजों, नलों के लिए नहीं है<br />और मेरे दोस्तो<br />ये तुम्हारे पूजाघरों के लिए भी नहीं है<br />कतई नहीं है दोस्तो<br />जिस लिए कि तुम्हें बताया गया है<br />nahin haivarshahttps://www.blogger.com/profile/03696490521458060753noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-23789798261462108692013-09-12T05:20:50.523+05:302013-09-12T05:20:50.523+05:30एक दिन उगेगी़ फूल बनकर
और सुगंध वे कैद न कर सकेंगे...एक दिन उगेगी़ फूल बनकर<br />और सुगंध वे कैद न कर सकेंगे<br />यही उम्मीद जीवित बनाए है मुझे<br /><br />बहुत लोग इस उम्मीद में जिन्दा है.....<br />बहुत बहुत बेहतरीन..Arun sathihttps://www.blogger.com/profile/08551872569072589867noreply@blogger.com