tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post2556367175533791553..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: `ख़ामोशी ही से निकले है जो बात चाहिए`Ek ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger15125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-60129471395552826942008-11-08T17:28:00.000+05:302008-11-08T17:28:00.000+05:30अच्छी कविताएं हैं। आश्चर्य कि अभी तक इनसे अपरिचि...अच्छी कविताएं हैं। आश्चर्य कि अभी तक इनसे अपरिचित ही थे। धीरेशजी और असद साहब शुक्रिया।Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-37396458903735536082008-11-08T15:27:00.000+05:302008-11-08T15:27:00.000+05:30ब्लॉग की उत्त्पत्ति से कहीं पहले, मयूर विहार के एक...ब्लॉग की उत्त्पत्ति से कहीं पहले, मयूर विहार के एक कमरे में पढ़ी गयी थी कुछ कवितायें मनमोहन की। वो पहला परिचय था मनमोहन की रचना से। मुझे याद हैं, धीरेश की डायरी से (जो शायद मनमोहन की ही डायरी थी और जिसपर धीरेश का भी उतना ही अधिकार हुआ करता था) चंद कवितायें मैंने उतार ली थी जो आज बरसों बाद भी मेरे पास सहेजी हुई हैं। आज फ़िर से मनमोहन की ये कवितायें पढ़ वे यादें भी ताज़ा हो गयी। इतना ही कह सकता हूँ - बेहद ईमानदार और पारदर्शी कवितायें हैं। इन्हे यहाँ चस्पा करने के लिए धन्यवाद्!राजनhttps://www.blogger.com/profile/10572991040196780079noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-86557219604997991822008-11-08T12:38:00.000+05:302008-11-08T12:38:00.000+05:30khoobsuratkhoobsuratDr. Nazar Mahmoodhttps://www.blogger.com/profile/08884037328988541092noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-84125213056844354932008-11-06T16:29:00.000+05:302008-11-06T16:29:00.000+05:30bahut bahut badhai. manmohan ka baare me amuly jan...bahut bahut badhai. manmohan ka baare me amuly jankari ka kiye aap dhanwad k patr hain.shelleyhttps://www.blogger.com/profile/12438659284260544490noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-63803641490141788462008-11-04T19:19:00.000+05:302008-11-04T19:19:00.000+05:30लुप्त हो गए अधूरे नक्शे को खोज कर फिर लानालुप्त हो गए अधूरे नक्शे को खोज कर फिर लानावर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-64908432821498694132008-11-04T13:14:00.000+05:302008-11-04T13:14:00.000+05:30यह चीजों को बहुत ही धैर्य के साथ चौकस निगाहों से द...यह चीजों को बहुत ही धैर्य के साथ चौकस निगाहों से देखने और बिना अपना संयम खोये विचलित मन की अभिव्यक्तियां हैं। यह अपने विचलित होने को अपनी सरलता में इतने कलात्मक कौशल से छिपाती हैं कि वह ज्यादा मारक ढंग से हम तक पहुंचता है। कुछ कविताअों में बरबस ही रघुवीर सहाय का बहुत ही झीना सा रंग दिखता है। अपनी को वृथा भावुकता से भरसक बचाते हुए मनमोहन जो अभिव्यक्त कर रहे हैं वह असल में अनसुनी चीखें हैं। लेकिन इसमें किसी तरह की आडंबरपूर्ण चिल्लाहट नहीं बल्कि करूणा है। लेकिन यह करूणा किसी तरह का झाग पैदा नहीं करती बल्कि वह नजर साफ करती है जो चीजों को एक ही तरह से देखने की अभ्यस्त हो चुकी हैं। इसीलिए ये समकालीन कविता में अलग सुर की कविताएं हैं। <BR/>धीरेश भाई, क्या इसके लिए मैं आपको बधाई दूं जबकि मैं इन्हें पढ़कर सचमुच विचलित हो गया हूं?ravindra vyashttps://www.blogger.com/profile/14064584813872136888noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-39790407913354547052008-11-04T10:46:00.000+05:302008-11-04T10:46:00.000+05:30मनमोहन जी की बेजोड़ कवितायें पढ़वाने के लिए दिल से...मनमोहन जी की बेजोड़ कवितायें पढ़वाने के लिए दिल से आभार...कवि और कवितायें दोनों विलक्षण हैं...वाह..<BR/>नीरजनीरज गोस्वामीhttps://www.blogger.com/profile/07783169049273015154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-54737795702044948022008-11-04T06:40:00.000+05:302008-11-04T06:40:00.000+05:30आभार इन कविताओं को यहाँ प्रस्तुत करने का...पसंद आई...आभार इन कविताओं को यहाँ प्रस्तुत करने का...पसंद आई.Udan Tashtarihttps://www.blogger.com/profile/06057252073193171933noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-32752811920258029552008-11-04T01:25:00.000+05:302008-11-04T01:25:00.000+05:30धीरेश भाई, असज जैदी की टिप्पणी के साथ मनमोहन की कव...धीरेश भाई, असज जैदी की टिप्पणी के साथ मनमोहन की कविताएं छापकर आपने हिंदी वालों पर उपकार किया है। मैं अपने ब्लॉग पर इसका लिंक दे रहा हूं कि और भी लोग इसे पढ़ें और समझे। अगर संभव हो तो मुझे मनमोहन की फोटो और उनकी कुछ चुनिंदा रचनाएं भेजो जो मैं अपने ब्लॉग पर लगा सकूं।हिन्दीवाणीhttps://www.blogger.com/profile/07941990914773155980noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-78547571055522627202008-11-04T00:25:00.000+05:302008-11-04T00:25:00.000+05:30बस ऐसी ही किसी चीज़ का इंतज़ार था ! असद जी की टिप्...बस ऐसी ही किसी चीज़ का इंतज़ार था ! <BR/>असद जी की टिप्पणी गज़ब की है और मुझे निजी तौर पर अध्यापक होने की याद दिलाती है! <BR/>अंतिम अंश तो मनमोहन की किताब से ही है। कविताओं के बारे में क्या कहूं - ऐसे कवि को मेरा सलाम!शिरीष कुमार मौर्यhttps://www.blogger.com/profile/05256525732884716039noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-79334800734110058362008-11-03T21:54:00.000+05:302008-11-03T21:54:00.000+05:30मनमोहन की कविताएँ जितनी भी पढ़ीं, सचमुच कई दिनों तक...मनमोहन की कविताएँ जितनी भी पढ़ीं, सचमुच कई दिनों तक अंदर गूँजती रहीं।महेनhttps://www.blogger.com/profile/00474480414706649387noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-55110110442458629662008-11-03T19:49:00.000+05:302008-11-03T19:49:00.000+05:30मनमोहन के साहित्यिक मूल्यांकन के लिए उनकी कोई भी द...मनमोहन के साहित्यिक मूल्यांकन के लिए उनकी कोई भी दस कविताएँ काफी हैं। उन की कला तो अपने स्थान पर है ही, उन्हें अधिक से अधिक पढ़ने पर पता लगता है कि यह व्यक्ति इंसान और समाज के प्रति कितनी जिम्मेदारी और सचाई से लिखता है।दिनेशराय द्विवेदीhttps://www.blogger.com/profile/00350808140545937113noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-72208873845343183732008-11-03T18:03:00.000+05:302008-11-03T18:03:00.000+05:30इच्छा ,अपनी आवाज़ और उसकी थकन मुझे बहुत पसंद आई .....इच्छा ,अपनी आवाज़ और उसकी थकन मुझे बहुत पसंद आई ..बहुत ही बढ़ियारंजू भाटियाhttps://www.blogger.com/profile/07700299203001955054noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-26871505132573542872008-11-03T17:51:00.000+05:302008-11-03T17:51:00.000+05:30स्त्री कवितायेँ बेमिसाल...`मेरी ओर' और `यकीन' में ...स्त्री कवितायेँ बेमिसाल...`मेरी ओर' और `यकीन' में बेमिसाल प्रतिबधता और अद्भुत कविता.....असद है जी ने सही ही कहा है, खामोशी से ही सार निकलताUnknownhttps://www.blogger.com/profile/00483100397923934262noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-87325847194968407632008-11-03T17:39:00.000+05:302008-11-03T17:39:00.000+05:30अपनी आवाज़ ने बताया कितनी दूर निकल आये हम अपनी आवा...अपनी आवाज़ ने बताया <BR/>कितनी दूर निकल आये हम <BR/><BR/>अपनी आवाज़ ने बताई <BR/>निर्जनता <BR/>" ek se badh kr ek, bhut sunder"<BR/><BR/>Regardsseema guptahttps://www.blogger.com/profile/02590396195009950310noreply@blogger.com