tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post6054571880682956941..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: सेक्युलर रिपब्लिक और उसकी चुनौतियाँ : सुभाष गाताड़ेEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger8125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-49418986726728472052010-01-29T15:37:43.388+05:302010-01-29T15:37:43.388+05:30लेकिन वर्षा यह कोई जादू नहीं है कि हम तो अच्छा-अच्...लेकिन वर्षा यह कोई जादू नहीं है कि हम तो अच्छा-अच्छा चाहते हैं, हो जाए अच्छा. इस तरह की बात बाबा लोग बहुत करते हैं और आखिर वे करते क्या हैं, सब जानते हैं? जिस बराबर अवसर मिलने की बात आप कर रही हैं, क्या जो व्यवस्था उसे सिरे से ख़ारिज करती हो, उसे वाद का चक्कर बताकर चुप हो जाएँ. आखिर राजनीतिक संघर्ष ही व्यवस्थाओं को बदलते हैं.Dhireshhttp://ek-ziddi-dhun.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-63203672255107281612010-01-29T08:25:22.462+05:302010-01-29T08:25:22.462+05:30"देश का बुद्धिजीवी वर्ग तो खुश है"
? ..."देश का बुद्धिजीवी वर्ग तो खुश है"<br /><br /><br /> ? ? ?उम्मतेंhttps://www.blogger.com/profile/11664798385096309812noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-718825316074876102010-01-28T15:06:52.926+05:302010-01-28T15:06:52.926+05:30Gan to hain par Tantra Shesh nahi,
ab bharat maha...Gan to hain par Tantra Shesh nahi, <br />ab bharat mahapurusho ka desh nahi,Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/11704182656947571891noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-90089279265146652162010-01-28T00:46:02.342+05:302010-01-28T00:46:02.342+05:30मुझे लगता है सब पढ़ें-सब बढ़ें की तर्ज़ पर सबको सम...मुझे लगता है सब पढ़ें-सब बढ़ें की तर्ज़ पर सबको समान अवसर उपलब्ध कराये जाने चाहिये। सेक्युलर रिपब्लिक की चुनौती भी इसी रास्ते से ही हल हो सकती है। और ये वाद का चक्कर तो जी बस बातें ही हैं।वर्षाhttps://www.blogger.com/profile/01287301277886608962noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-63506413024989737762010-01-27T12:31:22.821+05:302010-01-27T12:31:22.821+05:30bahut sahi baaten kahin gayin hai iss lekh men . y...bahut sahi baaten kahin gayin hai iss lekh men . yah bilkul sach hai ki aam aadami bhi poonjivad ke hi sapane dekhata hai .प्रज्ञा पांडेयhttps://www.blogger.com/profile/03650185899194059577noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-54686684700766421152010-01-27T12:14:01.502+05:302010-01-27T12:14:01.502+05:30सुभाष जी की चिंताएं आज की सबसे ज्वलंत समस्याएं है...सुभाष जी की चिंताएं आज की सबसे ज्वलंत समस्याएं है। कथनी और करनी में बढ़ते फर्क ने हमारी मुश्किलें बढ़ा दी हैं। सच कहा जाए तो आज हमारे पास रोल माडल की कमी है। जिसके अभाव में मध्य वर्ग का बड़ा तबका पूंजीवादी रोल माडलों के पीछे खिंचा चला जाता है। हमारे रोल माडलों का हाल यह कि न पूछो तो ही भला। मध्यवर्गीय नौकरीपेशा युवाओं का एक बड़ा वर्ग ऐसा है जो तथाकथित समाजवादियों के दोगलेपन से पीड़ित है। एक व्यक्ति के स्तर पर उसे समाजवाद के खोल में दोगलापन करने के बनिस्बत खुलेआम उपभोक्तावाद का दामन पकड़ना ज्यादा नैतिक लगता है। भूतपूर्व क्रँातिकारी लोग बुर्जूआ डेेमोक्रेसी तक का अनुसरण नहीं करते। सीधे जातिवाद और सांमतवाद की शरण लेते दिखते हैं। ऐसे स्थिति में कई बार पूंजीवाद ज्यादा प्रगतिशील दिखाई देता है। खासतौर पर मध्यवर्ग के नौजवानों को। क्योंकि चुनाव करने की स्थिति में वही होता है। खैर हजार बाते हैं। हजार सवाल हैं। अंत में फैज के शब्दों में यही कहँुगा कि<br /><br />दिल नाउम्मीद तो नहीं नाकाम ही तो है / लम्बी है गम की शाम मगर शाम ही तो हैRangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-40367255096354945672010-01-27T11:11:16.823+05:302010-01-27T11:11:16.823+05:30सुभाष हिन्दी के साहित्यग्रस्त समय में समय की नब्ज़ ...सुभाष हिन्दी के साहित्यग्रस्त समय में समय की नब्ज़ पकड़ने वाले ज़रूरी लेखक हैं।<br /><br />उनके विचार प्रस्तुत करने का आभार्॥Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-49107753799346879692010-01-26T19:04:46.721+05:302010-01-26T19:04:46.721+05:30niceniceRandhir Singh Sumanhttps://www.blogger.com/profile/18317857556673064706noreply@blogger.com