tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post8769673917011211866..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: लोकतांत्रिक महिलावादः एलिस वॉकर Ek ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-58356998786766351872012-12-02T17:10:56.031+05:302012-12-02T17:10:56.031+05:30सीमित परिवेश में ही समझी जा सकने वाली कवितासीमित परिवेश में ही समझी जा सकने वाली कविताKajal Kumar's Cartoons काजल कुमार के कार्टूनhttps://www.blogger.com/profile/12838561353574058176noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-69293344039032752182012-11-26T12:20:12.404+05:302012-11-26T12:20:12.404+05:30धन्यवाद सच में एक सुंदर वैचारिक कविता पढ़वाने के ल...धन्यवाद सच में एक सुंदर वैचारिक कविता पढ़वाने के लिए। जो कविता का सच है जिसे एलिस वाँकर कह रही है वह हमारा भी सच है। धीरेश सैनी जी आभार<br />अनिता भारती (Anita Bharti)https://www.blogger.com/profile/01460885719796781124noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-75164492988142493252012-11-26T10:46:52.755+05:302012-11-26T10:46:52.755+05:30यह कविता कितनी ज़्यादा "आवाज़ों" से भरी ...यह कविता कितनी ज़्यादा "आवाज़ों" से भरी हुई है, इसमें कितनी ज़्यादा हताशा और उनसे उपजा भौगोलिक द्वन्द निवास कर रहा है, यह बहकर बिगड़ती आवाज़ में बात करती है जो लोकतांत्रिक ख़्वाबों और औरतों की है.<br />अमरीका की इन नीतियों पर मैं अपना पुरज़ोर विरोध दर्ज़ करता हूँ और यह कामना है कि अगली बार अमरीकी अपने वोटों का सही और माकूल इस्तेमाल करें, भले ही मुझे गिरफ़्तार क्यों न कर लिया जाए?सिद्धान्तhttp://ssiddhantmohan.blogspot.in/noreply@blogger.com