tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post8849226534157860031..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: जेएनयू में नामवर - हैप्पी बर्थडे लीलाधरEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger18125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-72386655071533278322012-02-08T23:34:15.349+05:302012-02-08T23:34:15.349+05:30:):)Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-73759767576429422492009-08-23T18:39:00.070+05:302009-08-23T18:39:00.070+05:30धीरेश भाई,
आपको दुबारा कमेंट भेज रहा हूं. पहले में...धीरेश भाई,<br />आपको दुबारा कमेंट भेज रहा हूं. पहले में विस्तार से तारीफ की थी नामवर जी का इतना सटीक चित्र खींचने के लिए. अब और दुबारा फिर लिखा नहीं जा रहा.Hitendra Patelhttps://www.blogger.com/profile/04511447769510142605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-50859988517717372009-08-23T18:30:10.192+05:302009-08-23T18:30:10.192+05:30धीरेश भाई (अगर यह सही नाम है जिद्दी धुन का), इस ब्...धीरेश भाई (अगर यह सही नाम है जिद्दी धुन का), इस ब्लाग को आज ही देखा. नामवर जी पर अच्छा लिखा है आपने. बधाई. खबर सबको हो तो भी इतने रोचक तरीके से इस बात को शायद ही कोई पेश कर सके. आपके बारे में जानने की उत्सुकत बढ गयी. खासकर पंकज चतुर्वेदी के कमेंट को पढकर.Hitendra Patelhttps://www.blogger.com/profile/04511447769510142605noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-60331590090710322082009-07-31T23:55:54.305+05:302009-07-31T23:55:54.305+05:30अशोक भाई,
आप विष्णु खरे जी को इस कीचड़ में क्यों ...अशोक भाई,<br /><br />आप विष्णु खरे जी को इस कीचड़ में क्यों घसीट लाए? आचार्यप्रवर के कारनामों से उनकी क्या तुलना!Unknownhttps://www.blogger.com/profile/01223725155004944935noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-11382995138071527782009-07-31T23:49:18.232+05:302009-07-31T23:49:18.232+05:30इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया भेजने वाले सभी मित्रों का ...इस पोस्ट पर प्रतिक्रिया भेजने वाले सभी मित्रों का आभार. <br /><br />आशुतोष जी से क्षमा याचना और नमन. उनकी पोस्ट से मेरा उत्साहवर्धन हुआ कि मेरी मेहनत कुछ काम आई. <br /><br />पंकज भाई को यह सफाई दे दूं कि मैं ने आशुतोष जी पर anonymous मेल भेजने का इल्जाम नहीं लगाया था, बल्कि उनकी पोस्ट को उनकी न समझ कर किसी छद्मनामधारी की समझ बैठा था (क्योंकि ऐसे लोगों की इंटरनेट माध्यम और खासकर ब्लॉग विधा में बहुतायत है). बहरहाल दोष मेरा है. आपका बिरादराना हस्तक्षेप सर-माथे पर.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-69135099451166152762009-07-31T21:21:06.281+05:302009-07-31T21:21:06.281+05:30प्रिय धीरेश जी ,
श्री आशुतोष कुमार...प्रिय धीरेश जी ,<br /> श्री आशुतोष कुमार हिन्दी के सुप्रसिद्ध युवा आलोचक हैं . अभी ही उनकी एक अहम किताब 'शिल्पायन' से प्रकाशित हुई है-----"समकालीन कविता और मार्क्सवाद ". वह अलीगढ़<br />मुस्लिम विश्वविद्यालय में हिन्दी विभाग में associate प्रोफ़ेसर हैं . उन्होंने हिन्दी की महत्त्वपूर्ण साहित्यिक पत्रिका 'आशय ' के प्रेम - विशेषांक "प्रेम का स्त्री-अर्थ " का अतिथि-सम्पादन किया है. वह 'जन संस्कृति मंच ' की उत्तर प्रदेश इकाई के सचिव हैं . उन्होंने अपने नाम से (anonymous नहीं ) आपके ब्लॉग पर आपसे यह जिज्ञासा की थी की आपने अपने लेख<br />में जिस शेर के एक मिसरे को उद्धृत किया है , उसका दूसरा मिसरा क्या है. आपने खोज-बीन करके बता भी दिया , जो सराहनीय है ; मगर आपने उन पर यह इल्ज़ाम भी लगा दिया की वह ये पूछताछ anonymous रहकर कर रहे हैं . आपने ऐसा किस संभ्रम के चलते किया ? शायद आप उनसे परिचित नहीं हैं . मैं आपका मित्र हूँ , इसलिए सोचा -----कवि त्रिलोचन के शब्दों में कहूँ तो-----'परिचय की यह गाँठ लगा दूं !' <br /> -----पंकज चतुर्वेदी<br /> कानपुरUnknownhttps://www.blogger.com/profile/02638993799838924937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-22617351014670873142009-07-31T19:36:40.778+05:302009-07-31T19:36:40.778+05:30भाई इन अनजानोका डर समझिये।
आप देखिये नामवर---परमान...भाई इन अनजानोका डर समझिये।<br />आप देखिये नामवर---परमानंद- केदार -- विष्णु खरे के पास कितने पुरस्कारों की चाभी है।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-17287878022997121362009-07-31T15:29:02.723+05:302009-07-31T15:29:02.723+05:30ziddi bhai
mujh se aisee kya khataa huyi ki apko ...ziddi bhai<br /><br />mujh se aisee kya khataa huyi ki apko mera naam chhadm lag rahaa hai?<br /><br />is adbhut sher kaa ek hee misraa ab tak sunte aaye the.isee karan jigyasa kee thee.<br /><br />shukriya aap ka. aap kee mehnat se n kewal sher pooraa mil gaya, balki uske aitihasik mahtva kaa bhee pataa chala.आशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-33337041069515670182009-07-31T12:32:03.378+05:302009-07-31T12:32:03.378+05:30सभी साथियों से एक विनम्र निवेदन :
जब तक ख़ास मजब...सभी साथियों से एक विनम्र निवेदन : <br /><br />जब तक ख़ास मजबूरी न हो, जहां तक हो सके, anonymous भेस धर कर या छद्म नाम से प्रतिक्रिया न दें. और अगर ऐसा करना ही पड़े तब या तो अपना परिचय न छिपाकर ब्लॉग मोडरेटर से विशेष आग्रह कर लें, या anonymous नाम से ही मोडरेटर को ऐसा करने का कारण बता दें. <br /><br />पुनश्चः यह एक आग्रह है, न कि अल्टीमेटम.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-69906846820557212542009-07-31T12:12:06.440+05:302009-07-31T12:12:06.440+05:30प्रिय जिद्दी धुन, जब नामवर-काशी-केदार-उदय खुली नंग...प्रिय जिद्दी धुन, जब नामवर-काशी-केदार-उदय खुली नंगई कर रहे हैं, यानी अपने दलाल चरित्र का सार्वजनिक प्रदर्शन करते हुए लज्जित नहीं होते, तो उनपर यह मीठी-मीठी चुटकी लेने वाले लोगों का आपके ब्लॉग पर anonymous का मुखौटा लगाकर प्रकट होना कहाँ तक उचित है? बुरा न मानियेगा! सुनीलUnknownhttps://www.blogger.com/profile/01223725155004944935noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-59592859903699256762009-07-31T11:40:15.172+05:302009-07-31T11:40:15.172+05:30प्रिय आशुतोष जी (क्षमा करें आप शायद छद्म नाम इस्ते...प्रिय आशुतोष जी (क्षमा करें आप शायद छद्म नाम इस्तेमाल कर रहे हैं),<br /><br />व्यापक पूछताछ और खोजबीन के बाद पूरा शेर मिल पाया. शेर इस प्रकार है:<br /><br />आखिर को गिल सर्फ़े-दरे-मैकदा हुई<br />पहुँची वहीं पे ख़ाक जहां का खमीर था.<br /><br />[गिल का अर्थ है मिट्टी या कोई बुनियादी तत्व]<br /><br />आपको जानकर अचरज होगा कि यह शेर मुग़ल बादशाह जहाँदार शाह का लिखा हुआ है. इसका रचनाकाल १६८६ से १७१२ के बीच का है. जहाँदार शाह औरंगजेब का पोता था और केवल एक-डेढ़ वर्ष ही गद्दी पर टिक पाया था.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-31944190020290667942009-07-31T11:03:03.561+05:302009-07-31T11:03:03.561+05:30pankaj ka teer to dron ke hridy ko chhalnee kar de...pankaj ka teer to dron ke hridy ko chhalnee kar dega? lekin vahan koi hridy nahi hai. likha to sahi gaya hai phir bhi adhura hai. agli-pichhli kisi pidhi ke shishy pura karenge kya?Anonymousnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-14363721367805074922009-07-30T21:10:02.150+05:302009-07-30T21:10:02.150+05:30प्रिय धीरेश भाई ,
आपने ग़ज़ब का ...प्रिय धीरेश भाई ,<br /> आपने ग़ज़ब का लेख लिखा है. अल्बेयर काम्यू ने कहा था-----'मुझे वे लोग ज़्यादा पसंद हैं, जो साहित्य की <br />बजाए अपनी ज़िन्दगी में पक्ष लेते हों.' जीवन , सभ्यता और संस्कृति नष्ट हो जायें , तो क्या साहित्य बचा रह पायेगा ? मगर हिन्दी के आचार्य सोचते हैं -----सिर्फ़ साहित्य बचा लो. किसी ज़माने में चंद्रधर शर्मा 'गुलेरी' ने अपने मशहूर निबन्ध 'कछुआ -धरम' में लिखा था -----'शुतुरमुर्ग रेत में अपनी गर्दन डालकर सोचता है-----ख़तरा टल गया !' रही बात आचार्य जी के "निमित्त मात्र " होने की , तो जिस 'गीता' के आधार पर यह तथाकथित विनम्र स्थापना की गयी है ; उसकी विनम्रता की कलई 'गीता ' में ही कृष्ण के इस वक्तव्य से उतर जाती है----------<br /> <br /> "चातुर्वर्न्यम मया सृष्टं गुण-कर्म-विभागशः<br /> तस्य कर्तारमपि माम् विद्ध्यकर्तार्मव्ययम ! "<br />( चारों वर्ण , यानी ब्राह्मण , क्षत्रिय , वैश्य और शूद्र मेरे द्वारा ही "गुण और कर्म के आधार पर विभाजित करके" सृजित किये गये हैं . इनका मैं कर्ता हूँ , इसके बावजूद तुम मुझे "अकर्ता " ही जानो ! )<br /> इसके बाद भी किसी को सत्ता-प्रतिष्ठान की दुरभिसंधियों का अंदाज़ा न हो पाये , तो वह या तो बहुत भोला है या फिर महा-धूर्त .<br /> -----पंकज चतुर्वेदी<br /> कानपुरUnknownhttps://www.blogger.com/profile/02638993799838924937noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-50582872567088650242009-07-30T18:26:07.385+05:302009-07-30T18:26:07.385+05:30kripya sher poora likh denkripya sher poora likh denआशुतोष कुमारhttps://www.blogger.com/profile/17099881050749902869noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-69179403180378868442009-07-30T08:47:21.141+05:302009-07-30T08:47:21.141+05:30एनोनीमस जी, धन्यवाद! वह सतीश चन्द्र ही थे. भूल सुध...एनोनीमस जी, धन्यवाद! वह सतीश चन्द्र ही थे. भूल सुधार ली गयी है.Ek ziddi dhunhttps://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-58065583336960281142009-07-30T08:21:32.747+05:302009-07-30T08:21:32.747+05:30उदय चालिसा ले बाद अब नामवर चालीसा।
जिन चीज़ों पर आ...उदय चालिसा ले बाद अब नामवर चालीसा।<br /><br />जिन चीज़ों पर आपने/हमने उदय प्रकाश को इतना लताडा था वह सब थोडे फेरबदल के साथ नामवर जी पर नहीं कहा जा सकता?<br /><br />वह अपार प्रतिभासंपन्न लेखक हैं जिन्होंने साहित्यालोचना से अधिक समय उठापठक और पुरस्कार प्रबंधन को दिया।Ashok Kumar pandeyhttps://www.blogger.com/profile/12221654927695297650noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-7165769876748798522009-07-30T02:20:05.339+05:302009-07-30T02:20:05.339+05:30is post ke liye dhanyavad. namvar chalisa ke kuchh...is post ke liye dhanyavad. namvar chalisa ke kuchh aur panne palat dete to humare hindi gyan me thoda aur ijafa ho jata. ye jankariya hindi sahitya ke pahle dusare ya tisare ya kisi bhi itihas me nhi di h...isliye aapka aabharRangnath Singhhttps://www.blogger.com/profile/01610478806395347189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-87864431698517692502009-07-30T01:08:19.965+05:302009-07-30T01:08:19.965+05:30Bipin Chandra or Satish Chandra ?
Pl. Clarify .Bipin Chandra or Satish Chandra ?<br /><br />Pl. Clarify .Anonymousnoreply@blogger.com