tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post8963461739389093516..comments2023-11-26T14:07:01.592+05:30Comments on एक ज़िद्दी धुन: हमीं हम हमीं हम---कुछ बातेंEk ziddi dhunhttp://www.blogger.com/profile/05414056006358482570noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-16019126593641146842008-03-17T07:39:00.000+05:302008-03-17T07:39:00.000+05:30अद्भुत कविता।मनमोहन जी का फोन नम्बर मुझे देना। मेर...अद्भुत कविता।मनमोहन जी का फोन नम्बर मुझे देना। मेरा नम्बर तुम्हे वैभव सिंह से मिल जाएगा।Arun Adityahttps://www.blogger.com/profile/11120845910831679889noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-80177158516855040592008-03-16T00:33:00.000+05:302008-03-16T00:33:00.000+05:30धीरेश जी, हम तो आपके ही द्धारे खडे है, देखिये जरा।...धीरेश जी, हम तो आपके ही द्धारे खडे है, देखिये जरा। <BR/>भाई ये बेनाम खाकी चड्डीधारी हर कही परेशान करते रहते है, हाकी, कबड्डी के बाद लुकाछिपी खेल रहे है आजकल। कुछ दिन पहरेदारी भी करना पडी पार्टी आफिस की यहा, सडक पर निकलकर जिंदाबाद मुर्दाबाद भी करना पड रहा है। <BR/>भाई पुरे सप्ताह मोहल्ले में निठ्ठल्लेगिरी की, बेनामी बेईमानो को निपटाते रहे। इधर कामकाज के मामले में हम खुद ही निपट गये, अब सप्ताहंत पर सारे कामकाज निपटा रहे है, फिर से कुछ व्यवस्तता ज्यादा बढ गयी है। रोटी का ख्याल आते ही कबीरा सन्यासी से फिर गृहस्त बना है पर थोडे से दिनो के लिये। <BR/>डायलअप वाले है अपन, वैसे बी एस एन वाले भी अपने वाले ही है पर नियम कायदे तो सबके के लिये समान होते है, कुछ बिल की भी परवाह करती पड रही है।कबीरा इन्दौरीhttps://www.blogger.com/profile/06757698938257551381noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-4014735465804187918.post-73842368923047095492008-03-16T00:10:00.000+05:302008-03-16T00:10:00.000+05:30हमीं हम हमीं हम। "मैं" से भी ज्यादा खतरनाक होता "ह...हमीं हम हमीं हम। "मैं" से भी ज्यादा खतरनाक होता "हम" ये जान लिया ...ने। मनमोहन जी की कविताये एकदम सामयिक है, एक अन्य स्तरीय पोस्ट के लिये साधुवाद। <BR/>बिल्कुल सटिक टिप्पणी कि है आपने, तथाकथित प्रगतिशीलों के रवैये पर। भाई एक मशहूर हिन्दी ब्लाग पर क्या नया तमाशा चल रहा है ये कबीरा की समझ के बाहर है। ये गाजा की बहस कुछ ब्लागर्स के व्यक्तिगत अहं की लडाई बनकर रह गयी है, बहस में गाजा छोड बाकी सबकुछ चल रहा है। खेर छोडीये उन्हें..,<BR/>आप कामरेड जार्ज हबाश के संघर्ष के बारे कुछ लिखने वाले थे, आपकी पोस्ट के इंतजार में।<BR/>कबीरापरेश टोकेकर 'कबीरा'https://www.blogger.com/profile/05135540814475441202noreply@blogger.com