जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
कोई सूरत नज़र नहीं आती
आप लोग देख नही पा रहे शायद, सूरतों की कोई कमी नही है:)
कोई सूरत नज़र नहीं आती
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