एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
Thursday, August 15, 2013
यह वह सुबह तो नहीं-पंकज बिष्ट
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अगर मुझे आप ' आधी रात की संतान ( मिडनाइट्स चिल्ड्रन ) न भी कहें तो भी मैं पैदा '' जब दुनिया सो रही ...
Sunday, July 28, 2013
मंगलेश डबराल के कविता संग्रह 'नये युग में शत्रु' पर असद ज़ैदी की टिप्पणी
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न ये युग में शत्रु एक बेगाने और असंतुलित दौर में मंगलेश डबराल अपनी नई कविताओं के साथ प्रस्तुत हैं – अपने शत्रु को साथ लिए। बारह साल क...
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Friday, May 24, 2013
निर्मला गर्ग को दो उपदेश
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[वरिष्ठ कवि निर्मला गर्ग पिछले दिनों एक हिंदी अख़बार में गीतकार और फ़िल्मकार गुलज़ार की प्रशंसा में छपे एक लेख को पढ़कर परेशान हो गईं।...
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Wednesday, March 27, 2013
युद्ध का जख़्मी शरीर
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एक मरणासन्न रिटायर फ़ौजी की आख़िरी चिट्ठीः पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज बुश और पूर्व रक्षा मंत्री डिक चेनी के नाम संदेश मूल अंग्रेज़ी से अ...
Wednesday, March 6, 2013
तीसरी दुनिया के लिए शावेज का महत्वः विद्यार्थी चटर्जी
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गरीबों को सशक्त करने का मतलब क्या अमीरों को अलग-थलग छोड़ देना और उनकी नाराजगी मोल लेना है ? किताबी सिद्धांत तो ऐसा नहीं कहते , लेकिन ...
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