एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
Friday, September 26, 2025
विनोद कुमार शुक्ल की कविता पर अच्युतानंद मिश्र
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विसंगति की विडंबना 60’ के दशक में जिन कवियों ने विशिष्ट कहन शैली से अपनी पहचान निर्मित की, विनोद कुमार शुक्ल उन थोड़े कवियों में से हैं. कवि ...
Tuesday, May 14, 2024
मृणाल सेन का संस्मरण: रात में फूल खिलते हैं, पानी मे बेलें फलती हैं
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अगस्त 14-15, 1947. देश ने स्वतंत्रता की खुशियाँ मनाईं और विभाजन का मातम भी. एक ओर तो लोग अतीव आनंद की अवस्था में थे वहीं दूसरी ओर क्रोध और ...
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Wednesday, September 14, 2022
यहाँ मेरा घर बन रहा है (मोहन मुक्त के कविता संग्रहः “हिमालय दलित है” पर कुछ नोट्स) : शिवप्रसाद जोशी
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वो तुम थे एक साधारण मनुष्य को सताने वाले अपने अपराध पर हँसे ठठाकर, और अपने आसपास जमा रखा मूर्खों का झुंड अच्छाई को बुराई से मिलाने के लिए...
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Sunday, May 15, 2022
एक सुबुक आवाज़ की फैलती स्याही
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(अदनान कफ़ील दरवेश की कविताओं पर कुछ बातें) शिवप्रसाद जोशी XV We, the mortals, touch the metals, the wind, the ocean shores, the ...
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