Wednesday, March 5, 2008

देश हमारा

देश हमारा कितना प्यारा
बुश की भी आँखों का तारा

डंडा उनका मूंछें अपनी
कैसा अच्छा मिला सहारा

मूंछें ऊंची रहें हमारी
डंडा ऊंचा रहे तुम्हारा

ना फिर कोई आँख उठाए
ना फिर कोई आफत आए

बम से अपने बच्चे खेलें
दुनिया को हाथों में लेलें

भूख गरीबी और बेकारी
खाली-पीली बातें सारी

देश-वेश और जनता-वनता
इन सबसे कुछ काम न बनता

ज्यों-ज्यों बिजिनिस को चमकाएं
महाशक्ति हम बनते जाएँ

हम ही क्यों अमरीका जाएँ
अमरीका को भारत लाएं

झुमका, घुंघटा, कंगना, बिंदिया
नंबर वन हो अपना इंडिया

हाई लिविंग एंड सिम्पिल थिंकिंग
यही है अपना मोटो डार्लिंग

मुसलमान को दूर भगाएं
कम्युनिस्ट से छुट्टी पाएं

अच्छे हिंदू बस बच जाएँ
बाकी सारे भाड़ में जाएँ
-मनमोहन

4 comments:

  1. Kya baat hai. Manmohan to kamal hai. Is lajabab vyang ke liye sukriya

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  2. शूद्रो को पुन: हम गुलाम बनाये
    आओ मनु का स्वर्ग रचाये।

    बहुत-बहुत धन्यवाद धिरेश जी।
    मनमोहन जी को जनवादी लेखक संघ इन्दौर की बधाई और शुभकामनाये।

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  3. एक दम सटीक परेश जी

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  4. मूंछें ऊंची रहें हमारी
    डंडा ऊंचा रहे तुम्हारा

    ना फिर कोई आँख उठाए
    ना फिर कोई आफत आए

    बहुत सही कहा है ...अच्छी लगी कविता..

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