जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
बहुत सुन्दर रचना कम शब्दों में
इंसान तभी तक ज़िन्दा हैजब तक उसके अन्दर परिन्दा है.
उन्हें बधाई और शुभकामनाएं। कविता सचमुच अच्छई है।
वाह!
वाह क्या खूब याद दिलाई है आपने कवि मनमोहन की इस खूबसूरत कविता के बहाने
कैसी छटपटाहट है.. कविता में..
मनमोहन के जन्मदिन के मौके पर मेरी हार्दिक शुभकामनाए उन तक पहुंचाइएगा...
जन्म दिन की बधाई...यह परिंदा उड़ता रहे
मेरे अंदर भी......
यकीनन अलबत्ता वक़्त के साथ इसकी परवाज उतनी ऊँची नहीं रहती....
अरथ अमित अति आखर थोरे...जन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई।
मनमोहन जी के जन्मदिन पर उनकी यह कविता पढ़ना सुखद रहा.
बहुत बढ़िया रचना
क्या बात है. वाह !
sundar
ab tak ud rahan hein, par mujze bataye bina.
tum jeo hazaron sal, sal de din go 50 hazar
kavi ko janmdin ki badhayi....
अतिसुन्दर रचना.
अद्भुत!
कवि मनमोहन और उनकी कविताओं के बारे में और जानकारी कहाँ से मिल सकती है. उनकी पुस्तकों के बारे में और हो सके तो कहाँ से उपलब्ध हो सकती हैं, ये भी बताएं!
बहुत सुन्दर रचना कम शब्दों में
ReplyDeleteइंसान तभी तक ज़िन्दा है
ReplyDeleteजब तक उसके अन्दर परिन्दा है.
उन्हें बधाई और शुभकामनाएं।
ReplyDeleteकविता सचमुच अच्छई है।
वाह!
ReplyDeleteवाह क्या खूब याद दिलाई है आपने कवि मनमोहन की इस खूबसूरत कविता के बहाने
ReplyDeleteकैसी छटपटाहट है.. कविता में..
ReplyDeleteमनमोहन के जन्मदिन के मौके पर मेरी हार्दिक शुभकामनाए उन तक पहुंचाइएगा...
ReplyDeleteजन्म दिन की बधाई...
ReplyDeleteयह परिंदा उड़ता रहे
मेरे अंदर भी......
ReplyDeleteयकीनन अलबत्ता वक़्त के साथ इसकी परवाज उतनी ऊँची नहीं रहती....
ReplyDeleteअरथ अमित अति आखर थोरे...
ReplyDeleteजन्मदिन की बहुत-बहुत बधाई।
मनमोहन जी के जन्मदिन पर उनकी यह कविता पढ़ना सुखद रहा.
ReplyDeleteबहुत बढ़िया रचना
ReplyDeleteक्या बात है. वाह !
ReplyDeletesundar
ReplyDeleteab tak ud rahan hein, par mujze bataye bina.
ReplyDeletetum jeo hazaron sal, sal de din go 50 hazar
ReplyDeletekavi ko janmdin ki badhayi....
ReplyDeleteअतिसुन्दर रचना.
ReplyDeleteअद्भुत!
ReplyDeleteकवि मनमोहन और उनकी कविताओं के बारे में और जानकारी कहाँ से मिल सकती है. उनकी पुस्तकों के बारे में और हो सके तो कहाँ से उपलब्ध हो सकती हैं, ये भी बताएं!
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