एक ज़िद्दी धुन

जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद

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Sunday, January 22, 2012

कुमार अम्बुज की एक कविता

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कुमार अम्बुज की यह कविता 2009 में उनके  ब्लॉग  पर पढ़ी थी। मेरी यह अत्यंत प्रिय कविता और इस कविता के बाद में उनकी टिपण्णी वहीं से साभार है...
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धीरेश सैनी Dhiresh Saini
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