एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
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मंगलेश डबराल
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मंगलेश डबराल
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Tuesday, September 29, 2015
एक अपराजेय का जाना : मंगलेश डबराल
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अब ऐसे लोगों का होना बहुत कम हो गया है, जिनसे, बकौल शमशेर बहादुर सिंह, ‘जिंदगी में मानी पैदा होते हों।’ वीरेन डंगवाल ऐसा ही इंसान था, ...
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Sunday, July 28, 2013
मंगलेश डबराल के कविता संग्रह 'नये युग में शत्रु' पर असद ज़ैदी की टिप्पणी
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न ये युग में शत्रु एक बेगाने और असंतुलित दौर में मंगलेश डबराल अपनी नई कविताओं के साथ प्रस्तुत हैं – अपने शत्रु को साथ लिए। बारह साल क...
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Wednesday, June 8, 2011
कवि अज्ञेय पर असद ज़ैदी और मंगलेश डबराल
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जन्मशताब्दी वर्ष के बहाने अज्ञेय की प्राण प्रतिष्ठा के अभियान में अक्सर यह आरोप मढ़ा जा रहा है कि अज्ञेय की आलोचना करते समय उनक...
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