एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
Showing posts with label
मार्क्स
.
Show all posts
Showing posts with label
मार्क्स
.
Show all posts
Friday, September 28, 2012
आम्बेडकर और मार्क्सवादी - आनंद तेलतुम्बडे
›
भारत विरोधाभासों का देश है. मगर दलित और कम्युनिस्ट आन्दोलन के दो भिन्न दिशाओं में जाते इतिहास से ज़्यादा अनुवर्ती और कोई विरोधाभास न हो...
5 comments:
Thursday, December 10, 2009
`व्यावहारिक` लोग न पढ़ें
›
`मुझे उन तथाकथित व्यावहारिक लोगों की बुद्धि पर हंसी आती है, अगर कोई बैल बनना चाहे तभी वह मानवता की पीड़ाओं से मुंह मोड़कर अपनी ख़ुद की चमड़ी ...
2 comments:
›
Home
View web version