एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
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Wednesday, March 6, 2013
तीसरी दुनिया के लिए शावेज का महत्वः विद्यार्थी चटर्जी
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गरीबों को सशक्त करने का मतलब क्या अमीरों को अलग-थलग छोड़ देना और उनकी नाराजगी मोल लेना है ? किताबी सिद्धांत तो ऐसा नहीं कहते , लेकिन ...
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