एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
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Monday, September 2, 2019
सत्याग्रही का साम्प्रदायिक इस्तेमाल : धीरेश सैनी
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कल (इतवार) कई सालों बाद एनएसडी में जाकर कोई नाटक देखा। गाँधी पर केंद्रित यह नाटक `पहला सत्याग्रही` देखने जाने की एकमात्र वजह इसके लेखक ...
Saturday, February 2, 2013
द इंडियन आइडियोलॉजी : बदनसीब मुल्क़ के बदग़ुमान रहनुमा (अंतिम क़िस्त)
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(पिछली पोस्ट से जारी) माउंटबेटन के आगमन के साथ भारत में धार्मिक फूट को लेकर साम्राज्यवादी नीति का एक चक्र पूरा हुआ। 19 वीं सद...
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