एक ज़िद्दी धुन

जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद

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Friday, January 25, 2019

कृष्णा सोबती : चान्नण मीनार जो लफंगों का चैन छीनती है

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उस चान्नण मीनार कृष्णा सोबती के होने से हिंदी साहित्य के लफंगे, लम्पट, छिपे और खुले दक्षिणपंथी, फासिस्टों के चम्पू ख़ुद को कितना विचलित औ...
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धीरेश सैनी Dhiresh Saini
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