एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
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Monday, December 3, 2012
उनका दिव्य सर्किट हमारा अथाह समंदर : शिवप्रसाद जोशी
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(गुजरात की एक संक्षिप्त यात्रा पर कुछ नोट्स) सबसे पहले विद्रूप से ही टकराए . जैसे कि यही होना था ...
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