एक ज़िद्दी धुन
जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
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समाजवाद
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Friday, May 1, 2009
मई दिवस
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हैप्पी मे डे... इस एसएमएस से नींद खुली। सेम टू यू नुमा कोई उत्साह नहीं था बल्कि कुछ कोफ़्त सी ही थी। फिर तीसरे पहर तक ऐसे कई एसएमएस मिले और क...
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