Saturday, April 21, 2018

सैम हैमिल, वाइट हाउस से भिड़ जाने वाला कवि



9 May 1943 – 14 April 2018
दोस्त विक्टर इन्फान्ते की पोस्ट से मालूम हुआ कि सैम हैमिल नहीं रहे। उनके द्वारा सम्पादित पुस्तक पोएट्स अंगेस्ट दि वॉर (अब याद नहीं कहाँ की) पब्लिक लाइब्रेरी से पुरानी किताबों की सेल में मैंने शायद दसेक साल पहले ख़रीदी थी। `वाइट हाउस` से भिड़ जाने वाले इस एक्टिविस्ट कवि से यह मेरा पहला परिचय था। वह वाक़या तो अब, जैसे अंग्रेज़ी में कहते हैं, `स्टफ़ ऑफ़ लेजंड` है।
2003 में मोहतरमा लॉरा बुश ने `वाइट हाउस` में कवियों की एक संगोष्ठी आयोजित करने का ऐलान किया; निमंत्रण भेजे गए। सैम हैमिल ने न केवल वह निमंत्रण ठुकराया बल्कि इराक़ युद्ध की मुख़ालफ़त में पोएट्स अगेंस्ट दि वॉर नाम की वेबसाइट शुरू की जो एक वैश्विक आंदोलन में बदल गई। इस वेबसाइट पर लगभग बीस हज़ार प्रतिरोध की कविताएँ संकलित हैं। इन्हीं में से कुछ कविताएँ पुस्तकाकार छापी गईं जिसका जिक्र मैंने ऊपर किया है।
हमारे देश में जब चाटुकारिता और सत्ता के पिछलग्गूपन के नए अध्याय रचे जा रहे हैं, सैम हैमिल का जाना और भी तकलीफ़देह है। उन्हें और उनके जज़्बे को सलाम करते हुए उनकी तीन कविताएँ (मूल अंग्रेज़ी से अनुदित) पेश हैं।
-भारत भूषण तिवारी



स्टेट ऑफ़ दि यूनियन, 2003

यरूशलम मैं कभी नहीं गया,
लेकिन शिर्ली बात करती है बमों की.
मेरा कोई ख़ुदा नहीं, पर मैंने देखा है बच्चों को
दुआ माँगते कि बमबारी रुके. वे दुआ माँगते हैं अलग-अलग खुदाओं से.
ख़बर अब फिर वही पुरानी ख़बर है,
जो दुहराई जाती एक बुरी आदत, सस्ते तम्बाखू, सामाजिक झूठ की तरह.

बच्चों ने इतनी अधिक मृत्यु देख ली है
कि अब उनके लिए मृत्यु का कोई अर्थ नहीं.
वे रोटी के लिए क़तार में हैं.
वे पानी के लिए क़तार में हैं.
उनकी आँखें मानों काले चन्द्रमा हैं जिनमें से झाँकता है खालीपन.
हमने उन्हें हज़ारों बार देखा है.
कुछ ही देर में राष्ट्रपति भाषण देंगे.
उनके पास कहने लिए कुछ न कुछ होगा बमों के बारे में
आज़ादी के बारे में
हमारी जीवन पद्धति के बारे में.
मैं टीवी बंद कर दूँगा. हमेशा करता हूँ.
क्योंकि मेरे लिए बर्दाश्त से बाहर है
उनकी आँखों के स्मारकों को निहार पाना.




जेम्स ओस्को अनामरिया की मौत पर

जब उसकी लाश उन्हें
अबानकाइ में
पचाचाका ब्रिज के पास
कचरे के ढेर में मिली,

कौन कह सकता था
कि किसने
उखाड़े थे उसके नाख़ून,

किसने पैर तोड़े,
नोंच ली आँख किसने,
किसने अंततः उसका गला रेता.

कौन कह सकता था
किसने उसे कचरे में फेंक दिया
बोतल में बंद सन्देश की तरह.

कौन कह सकता था
कि वह कौन था
और क्यों

मगर कोई तो है जिसे पता है
कि किसका हाथ गर्दन पर है
और किसका बन्दूक पर.

युवा कवि ने ऐसा क्या कहा था
जो उसे मरना पड़ा?
क्या मौत का दस्ता था
इस ट्रेजेडी का लिखने वाला?

जिसे सीआईए ने प्रशिक्षण दिया हो?
कह नहीं सकते.

कोई तो जानता था
उसकी ज़ुबां के नाज़ुक स्पर्श को
क्योंकि वह कविता के हर स्वर
और हर व्यंजन में
जान फूँक देती.

लोर्का की मृत्यु पर बोलते हुए
उसकी आँख में छलका आँसू
कोई याद करता है
और जन पर बात करते हुए
उसकी आवाज़ की लय

कोई याद करता है उसके ख़्वाब
एंडीज़ के सायों में
एक लोकतांत्रिक संगीत के;
पंखों वाली कविता के.

बेशक, युवा कवि को पता था
कि कविता प्रेम है
और इस दुनिया में,
प्रेम एक ख़तरनाक शै है.


इराक़ में चल रही लड़ाई के तीन साल पूरे होने पर हेडन करूथ के नाम एक ख़त

लगभग चालीस साल हुए
उन सब जंगों के ख़िलाफ कविता लिखने के बारे में
तुमने कविता लिखी थी, हारलन काउंटी से लेकर इटली
और स्पेन. जब तुम्हारी चुनी हुई कविताएँ
आज मिलीं, उनमें से एक यह कविता थी जिसे
फिर पढ़ते हुए मैं ठिठका.

हम तबसे लगातार युद्धरत हैं.
मैं महायुद्ध के दौरान पैदा हुआ
और मैंने भी अपने सारे दुखदायी दिनों में
उस ख़ास अहमकपन
और बेमतलब और लाचार दर्द को जिया
और उसके खिलाफ लिखा है.
क्या उससे एक जान भी बच पाई?
कौन बता सकता है?
बजाय इसके कि ऐसा करने से
मेरी अपनी जान बची.

आह, मैं बता पाता तुम्हें बची हुई जानों
के बारे में. सित्का में थी
वह एक जवान ख़ूबसूरत औरत
जिसके पति ने, जो उसकी कविता से ईर्ष्या
करता था, उसके दोनों पैर
एक रस्सी से बाँध दिए और
फेंक दिया अपनी नाव से.
दक्षिण-पूर्वी अलास्का के उन पानियों में
आपके पास ज़िन्दगी के लगभग १२ मिनट होते हैं.

या ऊटा की दादी अम्मा
जो छंदबद्ध, रूमानी सॉनेट लिखा करती
और एक दिन रात गए
मुझे मोटेल में फ़ोन किया क्योंकि
उसका जबड़ा टूटा हुआ था, और उसकी नाक,
और वह अब भी पी रहा था. या मैं तुम्हें
एलेक्स के बारे में बता सकता हूँ, जो ड्रग्स
से जुड़े जुर्म में उम्रक़ैद काट रहा था
और क्लासिक्स से रूबरू होने पर उसकी आँखें
कैसे चमक उठीं.

हाँ, कविता ज़िंदगियाँ बचाती है.
सारी जंगें घर से ही शुरू होती हैं
युद्धरत आत्म के भीतर.
ना, हमारी कविताएँ नहीं रोक सकतीं
जंग, ना यह जंग और ना कोई और
बल्कि वह जो
अपने अंदर धधकती है.
जो पहला और एकमात्र कदम है.
यह एक
पाक यकीन है, एक कर्तव्य
कवि का शगल.
हम लिखते हैं कविता जो हमें लिखनी चाहिए.


नोट्स:

  1. स्टेट ऑफ़ दि यूनियन: अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्र के नाम दिया जाने वाला सालाना अभिभाषण
  2. दूसरी कविता का सन्दर्भ है प`रू देश के जेम्स ओस्को अनामरिया नामक कवि और एक्टिविस्ट की दिसम्बर 2005 में टॉर्चर के बाद की गई हत्या। प`रू में अबानकाइ एक शहर है जो पचाचाका नदी पर बसा है।
  3. हेडन करूथ (1921-2008): अमेरिका के एक और रेडिकल कवि जिनसे सैम हैमिल प्रभावित रहे।



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