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Monday, September 10, 2012

भ्रष्टाचार के साथ अन्याय-अत्याचार भी देखें- मेधा पाटकर


नर्मदा बचाओ आंदोलन की जुझारु नेत्री मेधा पाटकर इस वक़्त सरदार सरोवर बांध क्षेत्र में हैं। मध्य प्रदेश के  मेंइंदिरा सागर और ओंकारेश्वर बांधों के डूब क्षेत्र में चल रहे जल सत्याग्रह पर राज्य सरकार के आखिरकार कुछ पसीजने की खबरें आ रही हैं। अभी फोन पर उनसे बात हुई कि क्या समझौता हुआ। उन्होंने कहा कि मैं तो यहां सरदार सरोवर क्षेत्र के पीड़ितों के साथ हूं। यहां भी 300 घर डूब गए हैं और भी काफी नुकसान हुआ है। वहां आलोक वगैरहा हैं, कमेटी बनी है, प्रस्तावों की जांच कर रहे हैं। मुख्यमंत्री विस्थापितों को ज़मीन देने की बात कर रहे हैं लेकिन यह निर्णय तो पहले भी हो चुका है, सवाल इसके अमल का है। सरदार सरोवर पर भी 10 साल सत्याग्रह किया तब जाकर विस्थापितों को ज़मीनें मिलनी शुरू हुईं। हालांकि पूरी तरह इंसाफ मिलना अभी बाकी ही है। मध्य प्रदेश का मामला पूरी तरह अलग है। यहां तो पूरी तरह फर्जीवाड़ा है। हर बांध में कानून तोड़े गए हैं। हम यहां सरदार सरोवर पर लड़ाई लड़ रहे थे। यहां का काम अभी रुका हुआ भी है। लेकिन वहां जनता तब समझ नहीं पाई थी। जल्दी-जल्दी बांध खड़े कर दिए गए।

मेधा ने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार लेंड बैंक की ज़मीन देने की बात कर रही है। यह खेल तो सरदार सरोवर मसले में भी किया गया। खराब और अतिक्रमित ज़मीन का क्या होगा? संयुक्त जांच के दौरान भी पाया गया कि पूरी ज़मीन अतिक्रमित या खराब है लेकिन कंपनियों को हरी-भरी कीमती ज़मीन लुटाई जा रही है।

मेधा बोलीं, लंबी लड़ाई है। लड़ने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं है। करीब सात जगहों पर अलग-अलग टीमें औऱ वहां के विस्थापित नागरिक मोर्चा संभाले हुए हैं। ऐसी लड़ाइयां दिल्ली-मुंबई में बैठकर नहीं लड़ी जा सकती हैं। जिस तरह हम कई मोर्चों पर विकेंद्रित है, मीड़िया भी विकेंद्रित है। जहां तक विपक्ष का सवाल है तो मध्य प्रदेश में कांग्रेस को आंदोलन के साथ आना चाहिए था, पर ऐसा नहीं हुआ। हमारे लोगों ने दिल्ली में सांसद अरुण यादव को घेरा तो उन्होंने साथ देने की बात कही। अलबत्ता सीपीआई के लोग साथ दे रहे हैं पर उनकी ताकत कम है। देश भर में अन्याय के खिलाफ लडाइयां जारी हैं, यह बात अलग है कि एक बड़ी साझा लड़ाई का स्वरूप नहीं बन पाया है।

इन लड़ाइयों से  मध्य वर्ग की पूरी तरह उदासीनता पर मेधा पाटकर ने कहा कि मध्य वर्ग धीरे-धीरे आ रहा है। भ्रष्टाचार के खिलाफ वह बोलता है पर उसे समझना होगा कि भ्रष्टाचार के साथ अन्याय और अत्याचार भी लड़ाई के मुद्दे हैं।

इस बीच कोई कहता है कि सरपंच आ गए हैं। मेधा किसी से कह रही हैं, नहीं, नहीं, हम कुर्सी पर नहीं, नीचे बैठेंगे, कुर्सी सरपंच जी को दो। मेधा बाद में लंबी बातचीत का वादा कर फोन रखती हैं।