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Wednesday, May 12, 2010

लौट आ, ओ धार!


लौट आ, ओ धार!
टूट मत ओ साँझ के पत्थर
हृदय पर।
(मैं समय की एक लंबी आह!
मौन लंबी आह!)
लौट आ, ओ फूल की पंखडी!
फिर
फूल में लग जा।
चूमता है धूल का फूल
कोई, हाय!!
***

आज शमशेर जी की पुण्य तिथि है. उनकी यह तस्वीर जापान के क्योटो से लक्ष्मीधर मालवीय से वाया असद ज़ैदी प्राप्त हुई है.