जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद / वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
जब कौम गूंगी बहरी आलसी हो जाए...तो मलबा क़यामत तक कैसे हटेगा.कम शब्दों में बड़ी बात..
ऊबड़-खाबड़ ही रह जाएगा यह प्रसंगxxxxxबहुत सटीक बात ...एकदम सार्थक....शुक्रिया
( छै दिसंबर दो हज़ार नौ को आपके ही ब्लॉग पर ये टिप्पणी दी थी )यहां समतल जमीन परकब्रों की पैमाइश करते सौदागरों की फ़ौज अपनी खून आलूदा जुबानें लपलपाते हुएनयी बस्तियों मासूम जानों को दफ्न करने की फ़िराक में हैं
धीरेश सर, क्या मेरे ब्लॉग को अपने ब्लॉग रोल में डाल सकते हैं? http://mrityubodh.blogspot.com/
सुदीप जी की स्मृति को सलाम ।
गागर में सागर सा एहसास लिये यह कविता।---------दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
yeah , It's not at all possible !
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7 comments:
जब कौम गूंगी बहरी आलसी हो जाए...
तो मलबा क़यामत तक कैसे हटेगा.
कम शब्दों में बड़ी बात..
ऊबड़-खाबड़ ही रह जाएगा यह प्रसंग
xxxxx
बहुत सटीक बात ...एकदम सार्थक....शुक्रिया
( छै दिसंबर दो हज़ार नौ को आपके ही ब्लॉग पर ये टिप्पणी दी थी )
यहां समतल जमीन पर
कब्रों की पैमाइश करते
सौदागरों की फ़ौज
अपनी खून आलूदा
जुबानें लपलपाते हुए
नयी बस्तियों
मासूम जानों को
दफ्न करने की फ़िराक में हैं
धीरेश सर, क्या मेरे ब्लॉग को अपने ब्लॉग रोल में डाल सकते हैं?
http://mrityubodh.blogspot.com/
सुदीप जी की स्मृति को सलाम ।
गागर में सागर सा एहसास लिये यह कविता।
---------
दिल्ली के दिलवाले ब्लॉगर।
yeah , It's not at all possible !
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