वरिष्ठ आलोचक चन्द्रबली सिंह नहीं रहे, यह खबर अभी अशोक कुमार पाण्डेय की फेसबुक पोस्ट के जरिये मिली. वे लम्बे समय से बीमार थे. दो बरस पहले मैं और सुम्मी उनसे बनारस में उनके घर पर मिले थे तो ये धुंधली सी तस्वीरें लीं थीं. चन्द्रबली सिंह ने बातों-बातों में जिक्र किया था कि वाचस्पति और ज्ञानेन्द्रपति लगातार उनका हालचाल लेने आते हैं. दोनों उस दिन भी वहाँ मौजूद थे. एक चित्र में वाचस्पति उन्हें अखबार से पढ़कर कुछ सुना रहे हैं.
3 comments:
vinamr shradhanjali.
एक युग का पटाक्षेप...
श्रृद्धांजलि...
विनम्र श्रद्धांजलि !
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