Saturday, August 30, 2008

दे देना - योजेफ़ तोरनेई (हंगरी कवि)

प्यारी को तुम्हारी जब ले जाने आयेंगे
तुम उसे उनके सुपुर्द कर देना
ऊपर से नीचे तक
उसकी निश्वास सहित
त्वचा, वर्ण, दीठ सहित
मन के रहस्य सहित
और इसके साथ उसके पहनने ओढ़ने, निर्वस्त्र होने का ढंग भी
पुलक भरी सिहरनें,
उसका दुलारना
सब उसकी दुलराई देह सहित
दे देना ही होगा
उसका वह न जाने कहां खो जाने का मन
कभी-कभी का वह खुल बैठना रात में,
साथ में वह थकान।
बड़ी-बड़ी आँखें बादामी
कजरारी पलकें और साथ में कनबितयां
उसकी जांघों की फड़कन के अतिरिक्त
उसकी अतृप्ति के क्षण भी
उसकी आसक्ति की तरंग का चढ़ना-उतरना
उस देशी से दीखते चेहरे के साथ-साथ
उसके विदित और संतुलित जीवन के साथ-साथ
तुमको देना ही है।
(अंग्रेजी से अनुवाद - रघुवीर सहाय)

बरसों पहले मेरे एक मित्र सुधाकर भट्ट ने एक किताब दी थी- आधुनिक हंगरी कविताएं। बाद में यह किताब एक अन्य मित्र ने ले ली। आज पुस्तक मेले में यह किताब फिर दिखाई दी तो मैंने इसे लेने में जरा देर नहीं लगाई। इसी से ली गई है यह कविता।

4 comments:

anurag vats said...

bahut khoob...

Geet Chaturvedi said...

मेरे पास भी थी यह किताब, लेकिन कोई मार ले गया. और पुस्‍तक मेले में मैं गया नहीं, जो देखते ही लपक पड़ूं.

अद्भुत कविताएं हैं इसमें.
फेरेंन्‍स यूहात्‍स की एक कविता है इसमें, ' लड़का जो बन गया हिरन, रहस्‍य द्वार पर...', वह कई बार याद आ जाती है.

Ek ziddi dhun said...

Geet ji jo kavita aap kah rahe hain, mujhe bhi achhi lagti hai, bahut jyada. ye kitaab main aapko bhej doonga aur yeh kavita jald post kar doonga.

Ashok Pande said...

मेरे पास भी है साहब ये किताब! अजब है - बार-बार पढ़ने पर भी ख़्त्म नहीं होती. बढ़िया चुनाव धीरेश भाई!