Thursday, September 26, 2013

गणेश विसपुते की कविता


प्रयोगशाला

कुछ भी हो सकता है वहाँ
मतलब कुछ भी करवाया जाना
संभव होता है उनके लिए वहाँ
इल्जामों  के पौधे बोए जा सकते हैं
अफवाहों के फ़व्वारे उड़ाकर
उस कुहासे में
कवि के होने को न होना किया सकता है

कब्र हुई उसकी तो वह भी उखाड़कर
नामोनिशाँ मिटा दिया जा सकता  उसका
किसी को कानोंकान खबर नहीं होती
इबादतगाहों का क्या
गाँव तक ज़मींदोज़ किए जा सकते हैं
खांडववन का तो 
अच्छा-ख़ासा अनुभव है उनके पास
लिखा हुआ मिटाया जा सकता है
जो घटा नहीं वह लिखवाया जा सकता है

नष्ट की जा सकती हैं सदा हरी रहने वाली फसलें
सरकंडे उगाकर

बहुत ही अद्भुत है
उनकी प्रयोगशाला
बहुत प्राचीन है
उनके ज़हरीले रसायनों का वंश.



~ गणेश विसपुते 
मराठी कवि, चित्रकार, अनुवादक. आलोचना, कला और सिनेमा पर भी लेखन.
 
मराठी से अनुवाद- भारतभूषण तिवारी
चित्र यहां से

1 comment:

शिरीष कुमार मौर्य said...

बहुत अच्‍छी कविता है गणेश भाई की। शुक्रिया भारत और धीरेश।