(लॉरी पेनी ब्रिटेन की मशहूर नारीवादी वामपंथी लेखक और ब्लॉगर हैं. उनकी यह टिप्पणी “न्यू स्टेट्समन” पत्रिका
में प्रकाशित हुई थी जिसमें वे नियमित स्तम्भ लिखती हैं. घटना विशेष और
देश के ख़ास सन्दर्भ में लिखी गई यह टिप्पणी हमारे भारतीय परिप्रेक्ष्य में
भी कितनी मौजूं है ये देखकर हैरत और अफ़सोस दोनों का अहसास होता है. इस टिप्पणी का अंग्रेजी से अनुवाद भारतभूषण तिवारी ने किया है।)
वाम पक्षों में होने वाली यौन हिंसा के साथ किस तरह पेश आएँ? एक केस स्टडी पर नज़र डालते हैं.
जो
लोग पहले से वाकिफ़ नहीं है उनके लिए बता दिया जाए कि सोशलिस्ट वर्कर्स
पार्टी (एसडब्ल्यूपी) कई हज़ार सदस्यों वाला एक राजनीतिक संगठन है जो 30 से
भी अधिक सालों से ब्रिटिश वाम की प्रमुख ताक़त रहा है ब्रिटेन में सड़कछाप
फासीवाद के खिलाफ संघर्ष में वह आगे रहा है,पिछले कई सालों से छात्र और कामगार आंदोलन में उसकी बड़ी सांगठनिक उपस्थिति रही है और जर्मनी की डी लिंख जैसे अन्य देशों के बड़े,सक्रिय दलों से संलग्न रहा है. यूके के बहुत से बेहद महत्वपूर्ण चिन्तक और लेखक इस पार्टी के सदस्य हैं अथवा पूर्व सदस्य रहे हैं.
ब्रिटेन के बहुत से वामपंथियों की तरह मेरी भी उनसे अपनी असहमतियाँ रही हैं मगर मैं उनके सम्मेलनों में बोल चुकी हूँ, उनकी चाय पी चुकी हूँ और जो काम वे करते हैं उसके प्रति मेरे मन में बहुत सम्मान है. उनका समूह गौण या परिधि के बाहर का नहीं है: वे महत्त्व रखते हैं. और यह भी महत्त्व रखता है इस वक्त लैंगिकवाद (सेक्सिज़्म), यौन हिंसा और जवाबदेही के वृहत मुद्दों पर बहस की वजह से पार्टी का ठीकरा बहुत बुरे तरीके से फूट रहा है.
जनवरी के दूसरे हफ्ते में पता चला कि एक वरिष्ठ पार्टी सदस्य के खिलाफ जब बलात्कार और यौन हिंसा के आरोप लगाए गए,तो मामले की रपट पुलिस को नहीं दी गई बल्कि उसे खारिज किए जाने से पहले उससे 'अंदरूनी तौर' पर निपटा गया. जनवरी की शुरुआत में हुए पार्टी के वार्षिक सम्मेलन की लिखित प्रतिलिपि (ट्रांसक्रिप्ट) के अनुसार शिकायत की तहक़ीक़ करने की अनुमति कथित बलात्कारी के मित्रों को दी गई,इतना ही नहीं बल्कि कथित पीड़ितों का और भी उत्पीडन किया गया. उनके पीने की आदतों और पूर्व संबंधों पर सवाल उठाए गए,और जिन्होंने उनका साथ दिया उन्हें निष्कासित कर दिया गया या किनारे कर दिया गया.
पार्टी
के एक सदस्य टॉम वॉकर ने इस हफ्ते उकताकर इस्तीफ़ा दे दिया. वे बताते हैं
कि नारीवाद (फेमिनिज़्म) को "पार्टी नेतृत्व के समर्थक बड़े प्रभावशाली ढंग
से अपशब्द की तरह इस्तेमाल करते हैं..जेंडर के मुद्दों पर जो 'अति चिंतित' नज़र आता है उसके खिलाफ यह असरदार तरीके से इस्तेमाल किया जाता है."
10 जनवरी को प्रकाशित अपने साहसी और सिद्धांतों पर आधारित अपने त्यागपत्र में वॉकर ने कहा कि: “वाम पक्षों में शक्तिशाली पदों पर आसीन बहुत से पुरुषों की यौन राजनीति पर ज़ाहिर तौर पर एक सवालिया निशान लगा है. मुझे लगता है इसकी जड़ इस बात में है कि या तो प्रतिष्ठा के कारण,या आतंरिक लोकतंत्र के अभाव के कारण या दोनों ही वजहों से ये अक्सर ऐसे पद होते हैं जिन्हें असल में चुनौती नहीं दी जा सकती. ये यूँ ही नहीं हुआ कि हाल में दुनिया भर में लगे यौन उत्पीड़न के आरोपों का फोकस 'सज़ा से ऊपर होने की संस्कृति’ (कल्चर ऑफ इम्प्युनिटी) के विचार पर था.सोशलिस्ट वर्कर ने इशारा किया है कि किस तरह संस्थाएँ अपने अंदर के ताक़तवर लोगों को बचाने के लिए अपने आप को बंद सा कर लेती हैं. जो बात स्वीकार नहीं की गई है वह यह कि जीवित रहने के लिए आत्म-रक्षा की अपनी प्रवृत्ति के साथ एसडब्ल्यूपी भी इन अर्थो में एक संस्था ही है. जैसा कि पहले कहा गया है, स्वयं के विश्व-ऐतिहासिक महत्त्व में उसका भरोसा ऐसी बातों को छिपाने की कोशिशों और दुष्कर्मियों को सुरक्षित महसूस करवाने का निमित्त बनता है.”
पार्टी
के सम्मेलन में यह मामला सामने आने पर और बहसों की लिखित प्रतिलिपि के
इंटरनेट पर लीक होने के बाद अब सदस्य भारी संख्या में पार्टी छोड़ रहे हैं
या निष्कासित किए जा रहे हैं.
एसडब्ल्यूपी के काफी पुराने सदस्य और लेखक चाइना मिएविल ने मुझसे कहा कि बहुत से सदस्यों की तरह वे भी "हक्का-बक्का' हैं: “इन आरोपों को लेकर जिस तरह का बर्ताव किया गया - आरोप लगाने वालों के पूर्व संबंधों और पीने की आदतों को लेकर उठाये गए सवालों से भरपूर, किसी और सन्दर्भ में हम तुरंत और उचित ही इसकी लैंगिकवादी कह कर भर्त्सना कर देते - वह भयावह है. लोकतंत्र, जवाबदेही
और आतंरिक संस्कृति की यह भीषण समस्या है कि ऐसी स्थिति उपजती है और यह
तथ्य भी कि प्रभारी वर्ग जिसे अवांछनीय मानता है उस तरीके से ऑफिशियल लाइन
के खिलाफ बात करने वालों को 'गुप्त गुटवाद' के लिए निष्कासित किया जा सकता है.”
मिएविल ने समझाया कि अन्य कई संगठनों की ही तरह उनकी पार्टी में भी इस तरह की समस्याओं को आगे बढाने वाले शक्ति सोपानक्रम (पावर हाइरार्की) लंबे समय से विवादास्पद रहे हैं.
उन्होंने मुझे बताया कि "बिलकुल इसी तरह के लोकतंत्र के अभाव, केंद्रीय समिति और उनके वफादारों की अत्यधिक शक्ति, कथित 'असहमति' को लेकर सख्त पुलिसिया रवैया, और गलतियों को मानने से इनकार- जैसे कि वर्तमान स्थिति जो नेतृत्व के दुर्भाग्यपूर्ण व्यवहार से उपजी त्रासदी है-जैसे मुद्दों को सुलझाने के लिए हम बहुत से लोग बरसों से संगठन की संस्कृति और संरचना में बदलाव के लिए खुले रूप से लड़ रहे हैं. पार्टी के हम सभी लोगों में इस तरह के मुद्दों को स्वीकार करने की विनम्रता होनी चाहिए. एसडब्ल्यूपी के सदस्यों की ये ज़िम्मेदारी है कि वे हमारी परम्परा के भले के लिए लड़ें,बुरी बातों को बर्दाश्त न करें और हमारे संगठन को ऐसा बनाएँ जैसा वह हो सकता है मगर बदकिस्मती से अब तक हुआ नहीं है.
शक्तिशाली पदों पर बैठे पुरुषों द्वारा यौन दुर्व्यवहार और महिला-द्वेष (मिसोजनी) अबाधित रूप से चलने देने वाली संरचनाएँ रखने में राजनीतिक दलों के बीच, वामपंथी समूहों के बीच, प्रतिबद्ध लोगों के संगठनों के बीच, या वास्तव में मित्रों या सहकर्मियों के समूहों के बीच ब्रिटिश सोशलिस्ट वर्कर्स पार्टी का मामला शायद ही असामान्य है. फक़त पिछले 12 महीनों के दौर में जिन बातों की इशारा किया जा सकता है वह हैं जिमी साविल के मामले में बीबीसी का बर्ताव, या
विकिलीक्स के वे समर्थक जो मानते हैं कि जूलियन असांज को स्वीडन में
बलात्कार और यौन दुष्कर्म पर सफाई देने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए.
व्यक्तिगत
तौर पर मैं दो मिसालें दे सकती हूँ जिनमें सम्मानित व्यक्ति कष्टपूर्वक
अलग हो गए और फौरेवर फ्रेंडशिप समूह जिनमें ऐसी घटनाओं को स्वीकार करने का
साहस नहीं था. एकमात्र फर्क यह है कि एसडब्ल्यूपी ने खुले रूप से उन अनकहे नियमों की बात की जिनकी वजह से ऐसा डराना-धमकाना अक्सर चलता जाता है. दीगर समूह इतने बेशर्म नहीं हैं जो यह कह दें कि उनके नैतिक संघर्ष नारीवाद जैसे महत्त्वहीन मुद्दों से ज्यादा अहम हैं - भले ही असलियत में उनका तात्पर्य यही हो, या यह दावा कर दें की सही सोच रखने वाले वे लोग और उनके नेतागण कानून से ऊपर हैं. प्रतीत होता है कि एसडब्ल्यूपी के नेतृत्व ने यह बात अपने नियमों में लिख रखी थी.
यौन हिंसा के मामले बरतने में वाम को दिक्कत होती है ऐसा कहने का मतलब यह नहीं कि दूसरी जगहों पर यह समस्या नहीं है. मगर खास तौर पर वाम में या वृहत रूप में प्रगतिशीलों में पाए जाने वाले 'रेप कल्चर' को स्वीकार करने और हल करने को लेकर एक अड़ियल अस्वीकार ज़रूर है. निश्चित रूप से इसका सम्बन्ध इस ख़याल से है कि प्रगतिशील होने के नाते, बराबरी और सामाजिक न्याय के लिए लड़ने के नाते, और हाँ, इस नाते के नाते, किसी तरह से हम नस्ल,जेंडर और यौन हिंसा के मुद्दों को लेकर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराए जाने से ऊपर हैं.
हमारे अपने बर्ताव का विश्लेषण करने को लेकर अनिच्छा जल्दी ही जड़सूत्र (डॉग्मा) बन जाती है. तस्वीर ऐसी बनती है कि ये तुच्छ, ज़रा-ज़रा सी बात को मुद्दा बनाने वाली औरतों की वाम के भले आदमियों के अच्छे काम को बर्बाद करने की कोशिश है, औरतों वाले शिकायती अंदाज़ में इस बात पर ज़ोर देकर कि प्रगतिशील स्पेस भी ऐसी स्पेस हों जहाँ उन्हें बलात्कार की, दुर्व्यवहार की, बदचलन कहे जाने की, और अपनी बात कहने पर शिकार बनाए जाने की उम्मीद न हो. और भावनाओं में रोष और नाराजगी है कि: वर्ग युद्ध,पारदर्शिता और सेंसरशिप से आज़ादी का हमारा विशुद्ध और परिपूर्ण संघर्ष क्यों कर 'अस्मिता की राजनीति' से प्रदूषित हो? और अस्मिता की राजनीति इस तरह मुँह बनाकर बोला जाता है जैसे यह लफ्ज़ कितना बेस्वाद है. आम कट्टरपंथियों से अधिक जवाबदेही की अपेक्षा हम से क्यों की जाए? क्यों हमें उच्चतर आदर्शों पर रखा जाए?
वह इसलिए कि अगर हम ऐसे नहीं हैं,तो हमें प्रगतिशील कहलाने का कोई हक नहीं. क्योंकि अगर हम अपनी संस्थाओं के भीतर हिंसा, दुर्व्यवहार और जेंडर हाइरार्की के मुद्दों को स्वीकार नहीं करते तो हमें इन्साफ़ के लिए लड़ने का क्या उसकी बात करने का भी हक नहीं.
वॉकर लिखते हैं, "लोकतंत्र और लैंगिकवाद के मुद्दे अलग नहीं हैं, वे विकट रूप से एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. लोकतंत्र का अभाव लैंगिकवाद के बढ़ने हेतु स्पेस तैयार करता है और जब वह बढ़ जाता है तो उसे जड़ से दूर करने को और भी मुश्किल बनाता है." वे एसडब्ल्यूपी के बारे में बात कर रहे हैं मगर यह बात वाम की किसी भी पार्टी के बारे में कही जा सकती है जो पीढ़ियों के महिला-द्वेषी असबाब से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष कर रही है.
बराबरी कोई वैकल्पिक पूरक या गौण मुद्दा नहीं जिस से इन्कलाब के बाद निपटा जा सकता है. महिलाओं के अधिकारों के बिना न कोई सच्चा लोकतंत्र हो सकता है और न ढंग का वर्ग-संघर्ष. वाम जितनी जल्दी इस बात को स्वीकार कर लेगा और अपने साझा पिछवाड़े से दम्भीपन और पूर्वाग्रह का भारी-भरकम डंडा निकालने का काम शुरू कर देगा, उतनी जल्दी हम अपना असली काम शुरू कर पाएँगे.
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