Sunday, October 3, 2010

अयोध्या फैसले पर मंगलेश डबराल

'सहमत' ने अयोध्या फैसले पर देश के प्रमुख पुरातत्वविदों, इतिहासकारों और बुद्धिजीवियों का बयान जारी किया था, हिंदी के वरिष्ठ कवि मंगलेश डबराल ने इस पर अपनी सहमति व्यक्त की है। मंगलेश जी की यह टिप्पणी इस बात का संकेत है कि हिन्दी लेखक इस मसले पर चुप नहीं हैं

मंगलेश जी का सहमत को मेल

मैं देश के प्रमुख बुद्धिजीवियों के वक्तव्य से पूरी तरह सहमत हूँइतिहास और पुरातत्व से जुड़ा मसला सुप्रीम कोर्ट ले जाया जाना चाहिएसाम्प्रदायिक और संदिग्ध `खोज` को चुनौती दी जानी चाहिएयह न्याय का मज़ाक हैमैं मुसलामानों को सलाम करता हूँ कि वे अमन के रास्ते पर कायम रहेलेकिन, उन्हें खुद को हारा हुआ महसूस नहीं करना चाहिएइस देश के अधिकतर इंसान जो असल में साम्प्रदायिक नहीं हैं, उनके साथ हैं और रहेंगे
-मंगलेश डबराल

मूल वक्तव्य अंग्रेजी में है-

I fully agree with the statement of our major intellectuals। History and archeology issue must be taken to the supreme court. Communal and fraudulant findings must be challenged. It is a mockery of justice. I salute to the Muslims at large who remained calm. It again shows their tolerance. But they should not feel defeated. Most of the human beings in this country, who are of course not communalised, are with them and will remain so.

-MANGALESH DABRAL

4 comments:

प्रवीण पाण्डेय said...

मैं असहमत हूँ इन बुद्धिजीवियों से।

Anonymous said...
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Dheeraj Pandey said...

This is the question of democracy. we should fight for it. we r with our intellectuals.

सुशीला पुरी said...

हाँ ....... यही सच है मंगलेश जी !