Saturday, September 6, 2014

शुभा की चार कविताएं


वरिष्ठ कवयित्री, लेखिका और एक्टिविस्ट शुभा का आज जन्मदिन है। इस मौके पर हम अपनी 60 साल की इस युवा साथी की चार कविताएं प्रकाशित कर रहे हैं।
1
एक लम्बी दूरी
एक अधूरा काम
एक भ्रूण
ये सभी जगाते हैं कल्पना
कल्पना से
दूरी कम नहीं होती
काम पूरा नहीं होता
फिर भी दिखती है मंज़िल

दिखाई पड़ती है हंसती हुई
एक बच्ची रास्ते पर
***

2
हवा आधी है
आग आधी है
पानी आधा है
दुनिया आधी है
आधा-आधा नहीं
बीच से टूटा है
यह संसार बीच से टूटा है।
***

3
एक और एक
दो नहीं होते
एक और एक ग्यारह भी नहीं होते
क्योंकि एक नहीं है
एक के टुकड़े हैं
जिनसे एक भी नहीं बनता
इसे टूटना कहते हैं।
***

4
प्यासा आदमी
पानी को याद करता है
वह उसे पीना चाहता है

फिर प्यास बढ़ती है
तो वह उसे देखना चाहता है

और प्यास बढ़ती है
तो वह उसकी आवाज़ सुनना चाहता है

और प्यास बढ़ती है
तो वह अपने और पानी के बीच की दूरी देखने लगता है

और प्यास बढ़ती है तो वह
इस दूरी को एक रास्ते की तरह देखता है

और दूरी बढ़ती है
तो वह रास्ते को प्यार करने लगता है

और प्यास बढ़ती है
तो हर क्षण पानी भी उसके साथ रहने लगता है

लोग न उसके पानी को देखते हैं न उसकी प्यास को

ऐसा आदमी कभी-कभी गूंगा हो जाता है।
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