स्वतंत्रता
दिवस के मौके पर आप सब को मुबारकबाद और शुभकामनाएं। भारतीय स्वतंत्रता
संग्राम के शहीदों की महान स्मृति को मेरी श्रद्धांजलि। हमारे बीच मौजूद
स्वतंत्रता सेनानियों को भी मैं अगाध सम्मान प्रकट करता हूँ।
स्वतंत्रता
दिवस समारोह सिर्फ रस्मी मौका नहीं है। इसके ऐतिहासिक महत्व और
इस के साथ हिन्दुस्तानियों के गहरे भावनात्मक जुड़ाव के मद्देनज़र इसे राष्ट्रीय आत्मविश्लेषण के लिए एक विशेष आनुष्ठानिक अवसर के रूप में लेना
होगा।
इस स्वतंत्रता दिवस पर हमारे सामने बहुत सारे प्रासंगिक, ज़रूरी और सामयिक मुद्दे हैं।
`अनेकता
में एकता` हिन्दुस्तान की पारंपरिक विरासत है। सेक्युलरिज़्म के महान
मूल्यों ने हिन्दुस्तानियों को एक राष्ट्र के रूप में संगठित रखा है।
लेकिन, आज सेक्युलरिज्म की इस भावना पर हमले हो रहे हैं। हमारे समाज में
अवांछित जटिलता व फूट पैदा करने, धर्म, जाति व सम्प्रदाय के नाम पर हमारी
राष्ट्रीय चेतना पर हमला करने और हिन्दुस्तान को खास धार्मिक देश में
तब्दील करने के लिए गौरक्षा के नाम पर उन्माद भड़काने की साजिशें-कोशिशें
जारी हैं। इन सब वजहों से अल्पसंख्यक और दलित समुदायों के लोग गंभीर हमले
की जद में हैं। उनकी खुद को सुरक्षित महसूस कर पाने की भावना को ध्वस्त
किया जा रहा है। उनका जीवन ख़तरे में है। इन नापाक प्रवृत्तियों को बने
रहने नहीं दिया जा सकता है। ये नाक़ाबिल-ए-बर्दाश्त हैं। ये विध्वंसकारी
प्रयास हमारे स्वतंत्रता संग्राम के आदर्शों, सपनों और लक्ष्यों के
प्रतिकूल हैं। जो आज़ादी के आंदोलन के साथ जुड़े हुए नहीं थे बल्कि
जिन्होंने आज़ादी के आंदोलन से प्रतिघात किया था, जो जालिम लुटेरे बेरहम
अंग्रेजों के ताबेदार थे, उनके अनुयायी राष्ट्रविरोधी शक्तियों के साथ
गठजोड़ करके खुद को विभिन्न नामों-रंगों से सजा कर भारत की एकता-अखंडता की
जड़ों पर चोट पहुंचा रहे हैं। आज हर वफ़ादार-देशभक्त भारतीय को `संगठित
भारत` के आदर्श के प्रति प्रतिबद्ध रहने और इन विभाजनकारी साजिशों व हमलों
का सामना करने का संकल्प लेना होगा। हम सब को अल्पसंख्यकों, दलितों की
सुरक्षा सुनिश्चित करने और देश की एकता-अखंडता को अक्षुण्ण रखने के लिए
मिलकर संघर्ष करना होगा।
आज
साधनसंपन्न और वंचितों के बीच की खाई तेजी से चौड़ी होती जा रही है।
राष्ट्र के अथाह संसाधन और सम्पदा मुट्ठी भर लोगों के हाथों में सिमटती जा
रही है। जनता का विशाल हिस्सा ग़रीबी की मार झेल रहा है। ये लोग अमानवीय
शोषण के शिकार हैं। इन्हें भोजन, छत के साये, कपड़ों, शिक्षा, स्वास्थ्य
सेवा और निश्चित आय के लिए जरूरी रोजगार सुरक्षा से वंचित किया जा रहा है।
यह हमारे स्वतंत्रता संघर्ष के लक्ष्यों-उद्देश्यों के प्रतिकूल है। यह हाल
पूरी तरह से हमारी मौजूदा राष्ट्रीय नीतियों की वजह से है। ऐसी जनविरोधी
नीतियों को पलटना होगा। लेकिन यह कोरे शब्दों से संभव नहीं है। वंचित-शोषित
हिन्दुस्तानियों को उठ खड़ा होना होगा, उन्हें आवाज़ उठानी होगी, निडर व
संगठित होकर अनवरत प्रतिरोध करना होगा। हमें एक वैकल्पिक नीति की दरकार है
जो हिन्दुस्तानियों के विशाल बहुमत के हितों की पूर्ति करती हो। इस
वैकल्पिक नीति को हक़ीकत में तब्दील करने के लिए वंचित-शोषित
हिन्दुस्तानियों को इस स्वतंत्रता दिवस पर संगठित होकर एक व्यापक आर्थिक,
राजनीतिक, सामाजिक आंदोलन खड़ा करने का संकल्प लेना होगा।
बेरोजगारी
की विकराल होती समस्या ने हमारी राष्ट्रीय मानसिकता में अवसाद और निराशा
की भावना पैदा कर दी है। एक तरफ लाखों नौकरीपेशा लोग अपनी नौकरियों से हाथ
धो रहे हैं, दूसरी तरफ करोड़ों बेरोजगार नौकरी की बाट जोह रहे हैं जो मृग
मरीचिका के सिवा कुछ नहीं है। मुनाफाखोर कॉरपोरेट्स के छोटे से समूह को
मजबूती देने का काम करने वाली राष्ट्रीय आर्थिक नीतियों को पलटे बिना और आम
हिन्दुस्तानियों की क्रय शक्ति बढ़ाए बिना इस विशालकाय राष्ट्रीय समस्या
का हल सम्भव नहीं है। इसिलए, इन विध्वंसकारी नीतियों को पलटने के लिए
विद्यार्थियों, नौजवानों और कर्मचारियों को इस स्वतंत्रता दिवस पर एक
संगठित और सतत आंदोलन खड़ा करने का अहद उठाना होगा।
केंद्र
सरकार की जनविरोधी नीतियों के बरक्स त्रिपुरा की राज्य सरकार ने अपनी सीमाओं
के बावजूद जीवन से जुड़ी सभी जरूरतों के लिहाज से जनकल्याणकारी नीतियों को
जारी रखा है। दबे-कुचले तबकों पर विशेष फोकस किया गया है। हमें उनके
सहयोग से आगे बढ़ना है। यह पूरी तरह अलग और एक वैकल्पिक राह है। इस रास्ते ने न
केवल त्रिपुरा के लोगों को आकर्षित किया है बल्कि मुल्क के दबे-कुचले
लोगों का भी सकारात्मक रुख हासिल किया है। त्रिपुरा में प्रतिक्रियावादी
ताकतों को यह बर्दाश्त नहीं हो पा रहा है। लिहाजा, राज्य के अमन, भाईचारे
और अखंडता को तोड़ने के लिए जनशत्रु एक के बाद एक साजिशें रच रहे हैं। विकास कार्यों को तहस-नहस करने की कोशिशें भी जारी हैं। हमें इन नापाक
मंसूबों का प्रतिकार करना होगा, प्रतिक्रियावादी शक्तियों को अलग-थलग
करना होगा। इसके मद्देनज़र, इस स्वतंत्रता दिवस के मौके पर सभी बेहतर ढंग
से सोचने वाले, शांतिप्रिय और विकास की चाह रखने वाले लोगों को इन
विध्वंसकारी शक्तियों के खिलाफ आगे आने और मिलकर काम करने का दृढ़ संकल्प
लेना होगा।
***
(सीपीआईएम की ओर से मीडिया को जारी किए गए `भाषण` का अंग्रेजी से अनुवाद)
त्रिपुरा की वाम मोर्चा सरकार के मुख्यमंत्री माणिक
सरकार के मुताबिक, 12 अगस्त, 2017 को दूरदर्शन और ऑल इंडिया रेडियो ने
स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रसारण के लिए उनके भाषण की रिकॉर्डिंग की थी। 14 अगस्त, 2017 को इस भाषण
के प्रसारण में असमर्थता जताते हुए इसे बदलने के लिए कहा गया जिससे
उन्होंने इंकार कर दिया। इस बारे में उन्हें जो मेल भेजा गया, उसमें
`शुचिता`, `गंभीरता` और `भारत के लोगों की भावनाओं` के लिहाज से भाषण को
अवसरानुकूल बनाने की मांग की गई थी। ऑल इंडिया रेडियो के `हेड ऑफ
प्रोग्राम` की तरफ से भेजे गए इस मेल के साथ `Assistant Director of
Programmes (Policy) for Director General AIR` का पत्र संलग्न था। पत्र
में सीईओ प्रसार भारती और दिल्ली में लिए गए सुझावों का भी हवाला दिया गया
था। इस फैसले को लेकर भारतीय जनता पार्टी की केंद्र सरकार पर तानाशाही और सेंसरशिप का आरोप लगाया जा रहा है।
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