दिल्ली में किताबों का मेला शुरू हो गया है। इसके कोर्पोरेटीकरण के बाद इसमें बिना पैसे वाले किताब के आशिकों का घुस पाना मुश्किल हो गया है, फिर भी ये ६-७ दिन नशे में डूबे रहने जैसे ही होते हैं। मगर यहाँ दूर कोच्ची में सिर्फ उदास ही हुआ जा सकता है सोचकर कि कैसे किताबों के बीच उनके लिखने-पढ़ने वाले मिल जाया करते हैं। वैसे भी दिल्ली में हिंदी की किताबों को खरीद पाने का अब और कोई ठिकाना भी नहीं रह गया है।
बहरहाल, सूचना यह है कि अपने ग्वालियर वाले अशोक कुमार पाण्डेय की किताब `मार्क्स - जीवन और विचार` संवाद प्रकाशन से आई है। उन्होंने इस किताब में मार्क्स की जीवनी तथा वैचारिक स्थापनाओ को आम पाठक के लिहाज़ से समझाने का प्रयास किया है। साथ में भारत में मार्क्सवादी आन्दोलन के इतिहास, वर्त्तमान की चुनौतियों और विकल्प के प्रश्न पर अपने तरीके से टिप्पणी भी की है। बकौल लेखक, `मेरा मक़सद उस ख़ालीपन को भरना रहा है जो बिल्कुल नये मार्क्सवाद के प्रति उत्सुक हिन्दी के पाठक को महसूस होता है।` किताब की क़ीमत है १०० रुपये और संवाद प्रकाशन से इसे ०९३२००१६६८४ पर आलोक श्रीवास्तव को फोन करके भी मंगाया सकता है।
6 comments:
nice
अच्छा प्रयास! शायद यह पुस्तक उन ईमानदार लोगों को भी कुछ सिखा सके जो गलती से उन के विरोधी हैं।
इस विषय में दिनेश जी से सहमत !
good
tbe basic idea of this book is very attractive . as well as the price. congratulations to the author and the publisher. we will get this book.
हमारी केंद्र सरकार आस्ट्रेलिया में भारतीओं के मारे जाने पर बहुत हो हल्ला मचा रही हैं लेकिन वह महारास्ट्र में कुछ नहीं कर रही है . वहां के कांग्रेसी मुख्यमंत्री केवल बयां देते रहते हैं . इस लिहाज से कांग्रेस भी संघ और शिवसेना की तरह कम दोषी है . उसे भी बख्शा नहीं जाना चाहिए .
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