तुम उसे उनके सुपुर्द कर देना
ऊपर से नीचे तक
उसकी निश्वास सहित
त्वचा, वर्ण, दीठ सहित
मन के रहस्य सहित
और इसके साथ उसके पहनने ओढ़ने, निर्वस्त्र होने का ढंग भी
पुलक भरी सिहरनें,
उसका दुलारना
सब उसकी दुलराई देह सहित
दे देना ही होगा
उसका वह न जाने कहां खो जाने का मन
कभी-कभी का वह खुल बैठना रात में,
साथ में वह थकान।
बड़ी-बड़ी आँखें बादामी
कजरारी पलकें और साथ में कनबितयां
उसकी जांघों की फड़कन के अतिरिक्त
उसकी अतृप्ति के क्षण भी
उसकी आसक्ति की तरंग का चढ़ना-उतरना
उस देशी से दीखते चेहरे के साथ-साथ
उसके विदित और संतुलित जीवन के साथ-साथ
तुमको देना ही है।
(अंग्रेजी से अनुवाद - रघुवीर सहाय)
बरसों पहले मेरे एक मित्र सुधाकर भट्ट ने एक किताब दी थी- आधुनिक हंगरी कविताएं। बाद में यह किताब एक अन्य मित्र ने ले ली। आज पुस्तक मेले में यह किताब फिर दिखाई दी तो मैंने इसे लेने में जरा देर नहीं लगाई। इसी से ली गई है यह कविता।