जी को लगती है तेरी बात खरी है शायद /
वही शमशेर मुज़फ़्फ़रनगरी है शायद
Thursday, December 10, 2009
`व्यावहारिक` लोग न पढ़ें
`मुझे उन तथाकथित व्यावहारिक लोगों की बुद्धि पर हंसी आती है, अगर कोई बैल बनना चाहे तभी वह मानवता की पीड़ाओं से मुंह मोड़कर अपनी ख़ुद की चमड़ी की रखवाली कर सकता है.' - मार्क्स
2 comments:
सहमत !
मानवता के प्रति ग़ैरजिम्मेदार दोपायों को बैल ही कहा जा सकता है !
बेहतरीन। आपको इसके लिए हार्दिक धन्यवाद।
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