Monday, February 11, 2008

ब्रेष्ट और निराला के बहाने

कल ब्रेष्ट का जन्मदिन था और आज निराला का है। मंगलेश डबराल की एक कविता है जिसमें ब्रेष्ट और निराला बात करते हैं। हालांकि दोनों कवियों के मिजाज़ काफी अलग हैं पर एक बेचैनी दोनों में हैं, वक़्त मिलते ही दोनों की एक -एक कविता रखूँगा।

4 comments:

Unknown said...

but i want to read the poem of Dabral,how has he relate both poet in same poem think will be really interesting,

manjula said...

Seems very interesting. Eagerly waiting for the poems.

manjula said...

ब्रेष्‍ट और निराला से कब मिलवायेंगे भई

Ek ziddi dhun said...

2 dino.n baad. kal office nahi aaunga, ghar computer nahi