Wednesday, August 18, 2010

तब इतना करना!




जब मैं न रहूँ इस अस्तित्व शून्यता में
तब इतना करना
बेहिचक तुम पोंछ लेना अपनी आँखें
ठीक ही है, चार दिन-
धड़केगा कलेजा, दम घुटने लगेगा.
सँभाल लेना भर भर आती हिचकियों को,
रुन्धने न देना गले को.
फिजूल ही घावों की पीड़ा के चक्कर में न पड़ना
ख़ुशी से, ख़ुशी से बसा लेना एक आशियाँ जो तुम्हें रुचे
मुझे याद करके,
और ज़रूरत पड़े तो मुझे भुलाके.

-नारायण सुर्वे

मराठी से अनुवाद: भारतभूषण तिवारी

(जनकवि नारायण सुर्वे का लम्बी बीमारी के बाद सोमवार, १६ अगस्त को ठाणे में निधन हो गया.चिंचपोकली महानगर पालिका की इमारत में स्थित नारायण सुर्वे के सरकारी क्वार्टर की तस्वीर मराठी समाचारपत्र सकाळ की वेबसाइट से साभार)

6 comments:

Rangnath Singh said...

जनकवि को हार्दिक श्रद्धांजलि।

वर्षा said...

सचमुच ऐसा ही करना है

प्रवीण पाण्डेय said...

हार्दिक श्रद्धान्जलि।

आशा जोगळेकर said...

नारायण सुर्वे जी को हारदिक श्रध्दांजली .

सुनील गज्जाणी said...

जन कवि सुर्वा साब को हमारी और से एवं '' आखर कलश '' परिवार कि और से हार्दिक श्रद्धान्जलि। इश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे
सादर

डॉ. नूतन डिमरी गैरोला- नीति said...

जन कवि, नारायण जी को श्रद्धांजलि. . जाने क्यों जाने वाला जाने से पहले ऐसी बाते कह लिख जाता है .. सत्य लिखा उम्दा लिखा |