रसूल हमज़ातोव का ज़िक्र आते ही अद्भुत किताब मेरा दागिस्तान आप सभी के जेहन में उभर आयी होगी। उनकी ये पंक्तियाँ मेरे एक दोस्त नीरज को बेहद पसंद हैं। वैलेंटाइन्स डे के शोर में उन्होंने फ़ोन पर इन्हें मुझे फिर सुनाया और मैं इन्हें यहाँ रख रहा हूँ-
अगर हजार आदमी करते हैं तुमसे प्यार
उनमें एक मैं होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर सौ आदमी करते हैं तुमसे प्यार
उनमें भी एक मैं होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर एक आदमी करता है तुमसे प्यार
वो मैं ही होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर कोई नहीं करता तुमसे प्यार
और तुम अपना उदास हृदय लिए
जा बैठती हो कब्रिस्तान में पाषाण किनारे
तुम्हें वहां भी लिखा मिलेगा
यहाँ सोया है रसूल हमजातोव
अगर हजार आदमी करते हैं तुमसे प्यार
उनमें एक मैं होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर सौ आदमी करते हैं तुमसे प्यार
उनमें भी एक मैं होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर एक आदमी करता है तुमसे प्यार
वो मैं ही होउंगा रसूल हमज़ातोव
अगर कोई नहीं करता तुमसे प्यार
और तुम अपना उदास हृदय लिए
जा बैठती हो कब्रिस्तान में पाषाण किनारे
तुम्हें वहां भी लिखा मिलेगा
यहाँ सोया है रसूल हमजातोव
2 comments:
अच्छा चयन है। मैंने अपने ब्लॉग पर तुम्हारे ब्लॉग का लिंक दे दिया है।
'यकीन मानो वो पर्वतों का वासी' क्या रसूल खुद आकर लिखेंगे...? हो सके तो पूरा कीजिए।
Post a Comment