फिदेल कास्त्रो ने क्यूबा में सत्ता छोड़ने का एलान किया है। वे पिछले काफी वक्त से बीमार हैं। अमरीका और हर समर्ज्यवादी-पूंजीवादी की आँखों की किरकिरी कास्त्रो अमेरिका से लेकर दुनिया के हर कोने में न्याय के पक्षधर लोगों के दिलों पर राज करते हैं और इस बात का कोई अर्थ नही है कि वे अब सत्ता नहीं संभालेंगे। उन्होंने अपने जीवन का बेहद विवेक और बेमिसाल साहस के साथ जनता के लिए इस्तेमाल किया है और वे एक गहरे भरोसे की तरह हैं। अपने भगत सिंह और कास्त्रो के साथी चे की तरह ऐसे ढेरों उदाहरण मिलेंगे, जिन्होंने अपनी शहादत से मिसाल पेश कीं। लेकिन कास्त्रो के जीवन को देखकर अचरज ही होता है कि कैसे उन्होंने क्रांति की कमान संभाली, और फिर तमाम आर्थिक पाबंदियों के बावजूद देश में आम लोगों के लिए शिक्षा और स्वास्थ्य की ऊँचे स्तर की सुविधाएँ मुहैया करायीं और इस समाजवादी ढांचे की सफलता से दुनिया भर के लोगों को रह दिखाई, लगातार एक बेहद सजग बुद्धिजीवी की तरह जटिल मसलों पर लिखते-बोलते रहे। यह अकारण नहीं है की उन्हें हजारों हज़ार ढंग से मारने की कोशिश करता रहा दुश्मन भी अपने मीडिया में उनकी उपलब्धियों को देखने को मजबूर रहा है। यह भी अकारण नही है कि वे इस वक्त समरज्य्वाद, पूंजीवाद और हर तरह के अन्याय के खिलाफ संघर्ष करने वालों के बीच सबसे ज़्यादा पढे जा रहे हैं और अपने यंहा भी उनके लगातार अनुवाद हो रहे हैं। नेरुदा और मर्ख्वेज जैसे कवि उन पर लिखते हैं। मर्ख्वेज की उन पर लिखी छोटी सी पुस्तक अद्भुत है।
5 comments:
'सलाम फिदेल' क्या इसलिए कि पूंजीवाद का विरोध उन्होंने अधिनायकवाद से किया..उच्च जीवन स्तर स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की अनदेखी करते हुए...?
स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति की बात करते समय हमें एक बार यह सोचना चाहिए कि कहीं अनुशासनहीनता को तो स्वतंत्रता का नाम नहीं दिया जा रहा. क्योंकि हमारे देश में स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति के नाम पर जो हो रहा है वो तो हम देख ही रहे हैं. गुजरात के मोदी इसके ताजा उदाहरण हैं.
एक जिद्दी धुन को कबीरा का प्रणाम। फिदेल का सत्ता छोडने का एलान इतिहास के अंत का नहीं अपितु निरंतरता का उदाहरण है। एक तरफ बुश के नियोकानियो कh स्वतंत्रता - लोकतंत्र आयात करने की जिद्दी धुन तो दुसरी तरफ बुश के जायनवादीयो के मध्य-पूर्व को अतीत के नक्शे में बदलने की सनक ने दुनिया को बारूद के ढेर पर बिठा दिया है। गाजा को विश्व की सबसे बडी मानव जेल में तब्दील कर दिया गया तो इराक को कब्रस्तान में। लेकिन फिर भी मानवाधिकार हनन के दोषी फिदेल। इसरायल रोज दर्जनो बेगुनाह फलिस्तीनियो को मारे, उनके द्वारा चुनी सरकार को खत्म करने के लिये दिन रात एक कर दे लेकिन फिर भी स्वतंत्रता के दोषी फिदेल।
ये तो फिदेल की जिद का परिमाण है कि विश्व आका अमेंरिका के पिछवाडे आज लाल कमल लहरा रहा है। यूगो ईवो लूला फिदेल के बगैर इस बुलंदी पर कभी न पहुच पाते। लाख प्रतिबंधो के बावजूद आज क्यूबा शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार, आवास आदि क्षेत्रो में विश्व के विकसीत देशो से भी आगे है तो इसका श्रेय फिदेल उनकी टिम व क्यूबा के निवासीयो को जाता है। मानवाधिकार के नाम पर चाहे जितना विष क्यूबा के खिलाफ उगला जाये पर मानवधिकारो के लिये जे लडाई क्यूबावासी फिदेल के नेतृत्व में पिछले 50 वर्ष्रो से लड रहे है अविस्मरणीय है। फिदेल, एक जिद्दी धुन को लाल सलाम।
एक दम सही. पूंजीवादी अनुशासनहीनता के खिलाफ कोई भी एक्शन स्वतंत्रता की अभिव्यक्ति पर रोक बन जाता है और अमेरिका द्वारा अपने पूंजीवादी हितो के लिए दूसरो की स्वतंत्रता का हनन विश्व शांति के लिए किया गया प्रयास. इसे ही कहते हैं कि जिसकी लाठी उसी की भैंस
hamaari taraf se bhi lal salaam.samajvaad zindaabaad.
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